Tuesday 26 March 2024

To Sanu on 25 years of our marriage

 My Dearest Sanu,

As I sit down to pen these words, I find myself overwhelmed with emotions, reflecting on the beautiful journey of love and companionship we’ve shared over the past 25 years. It feels like just yesterday when we embarked on this incredible adventure together, hand in hand, hearts filled with hopes and dreams.

Through every twist and turn, every joy and sorrow, you have been my steadfast rock, my guiding light, and my unwavering support. Your love has been the anchor that has kept me grounded amidst life’s storms, and your unwavering belief in me has given me the strength to overcome every obstacle that came our way.

In a world where love is often measured by grand gestures and extravagant displays, yours is a love that speaks volumes in its quiet simplicity and steadfastness. You have never asked for anything in return for the boundless love you’ve showered upon me, selflessly giving of yourself without hesitation or reservation.

 As I reflect on our journey together, I am humbled by the depth of your kindness, the strength of your character, and the beauty of your soul. You have weathered my flaws and imperfections with grace and understanding, never once faltering in your love for me, even when I may have faltered myself.

I know that I am not perfect, and there have been moments when I have made mistakes along the way. But through it all, your love has remained unwavering, a beacon of hope and forgiveness that has illuminated my darkest hours and guided me back to the path of righteousness.

As we celebrated 25 years of our marriage, I want to take this opportunity to express my deepest gratitude to you for being the extraordinary woman that you are. You have enriched my life in ways I could never have imagined, and I am eternally grateful for the privilege of calling you my wife.

As we look towards the future, I am filled with excitement and anticipation for all the adventures that lie ahead. Together, there is nothing we cannot overcome, no obstacle too great, and no dream too lofty to achieve.

Thank you, my love, for being my partner, my confidante, and my best friend. Here’s to the next 25 years and beyond, filled with love, laughter, and endless joy.

With all my love,

Yours only,

Praveen

Tuesday 13 June 2023

फीस समय की या अनुभव की.?

 फीस समय की या अनुभव की?

एक विशाल जहाज का इंजन खराब हो गया। लाख कोशिशों के बावजूद कोई इंजीनियर उसे ठीक नहीं कर सका। फिर किसी ने एक मैकेनिकल इंजीनियर का नाम सुझाया जिसे इस तरह के काम का 30 से अधिक वर्षों का अनुभव था। उसे बुलाया गया। इंजीनियर ने वहां पहुंचकर इंजन का ऊपर से नीचे तक बहुत ध्यान से निरीक्षण किया। सब कुछ देखने के बाद इंजीनियर ने अपना बैग उतारा और उसमें से एक छोटा सा हथौड़ा निकाला। फिर उसने इंजन पर एक जगह हथोड़े से धीरे से खटखटाया। और कहा कि अब इंजन चालू करके देखें। और सब हैरान रह गए जब इंजन फिर से चालू हो गया। इंजन ठीक करके इंजीनियर चला गया। जहाज के मालिक ने जब इंजीनियर से जहाज की मरम्मत करने की फीस पूछी, तो इंजीनियर ने कहा- ₹ 200,000/-

“क्या?!” मालिक चौंका। “आपने लगभग कुछ नहीं किया। मेरे आदमियों ने मुझे बताया था कि तुमने एक हथोड़े से इंजन पर सिर्फ थोड़ा सा खटखटाया था। इतने छोटे काम के लिए इतनी फीस? आप हमें एक विस्तृत बिल बनाकर दें।“

इंजीनियर ने बिल बनाकर दे दिया। उसमें लिखा था:

हथौड़े से खटखटाया: ₹ 2/-

कहां और कितना खटखटाना है: ₹ 199,998/-

फिर इंजीनियर ने जहाज के मालिक से कहा – अगर मैं किसी काम को 30 मिनट में कर देता हूं तो इसलिए कि मैंने 30 साल यह सीखने में लगा दिए कि उसे 30 मिनट में कैसे किया जाता है। मैंने आपको 30 मिनट नहीं दिए, इतने समय में मेरे 30 वर्षों का अनुभव दिया है। फीस कितना समय लगा उसकी नहीं मेरे अनुभव की है। जहाज का मालिक बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने ख़ुशी ख़ुशी इंजीनियर को उसकी फीस दे दी।

तो किसी की विशेषज्ञता और अनुभव की सराहना करें... क्योंकि ये उनके वर्षों के संघर्ष, प्रयोग, मेहनत और आंसुओं का परिणाम हैं।

कृपया ध्यान दें:- इस उद्धरण की चिकित्सक के व्यवसाय से भी तुलना उतनी ही सटीक बैठती है।


Monday 3 April 2023

लोक लुभावन नहीं, महा विध्वंसकारी RTH

 *जनता से अपील*


१. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा, मुफ्त जांच और मुफ्त इलाज पहले से ही लागू है। निजी अस्पताल भी चिरंजीवी और RGHS सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में बेहद कमतर सरकारी दरों पर आम जनता को इलाज उपलब्ध करवा रहे हैं। इसे में इस प्रदेश को अलग से "राइट टू हेल्थ" अर्थात RTH कानून की कोई आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार मात्र चुनावी रणनीति के तहत यह अधिनियम लाकर जनता के वोट भुनाना चाहती है। इस अधिनियम में चिकित्सको के व्यवहारिक हितों की अनदेखी की गई है।


२. हर पेशे मे दो क्षेत्र अपनी सेवाए देते हैं, एक सरकारी और दूसरा निजी। सरकारी क्षेत्र का दायित्व जरूरत मंद जनता को उन सेवाओ को निःशुल्क रूप से उपलब्ध कराने का होता है। इस हेतु उस सेवा से जुड़े सारे मानव-संसाधन, मूलभूत सेवाएं आदि की व्यवस्था सरकारी पैसे (अर्थात जनता के टैक्स के पैसे) से की जाती है। जहां सरकार उक्त सेवाओं को उपलब्ध कराने अथवा उनका प्रबंधन करने में दिक़्क़त अनुभव करती है, वहाँ वह इस हेतु निजी क्षेत्र का आह्वान करती है।


३. निजी क्षेत्र अपने निजी पैसे से या बैंक से लिए हुए ऋण के द्वारा उक्त सेवाऐं उपलब्ध कराने हेतु मूलभूत सुविधाएं और मानव-संसाधन के वेतन आदि खर्चो की व्यवस्था करता है। उसके पास उक्त व्यवस्थाओं को करने के लिए कोई सरकारी फंड नहीं होता।


४. यह सर्व-विदित सत्य है कि निजी क्षेत्र की सेवाओ की गुणवत्ता और प्रबंधन सरकारी क्षेत्र से बेहतर और सक्षम होता है। यही कारण है कि जनता निजी क्षेत्र की सेवाओं को अधिक उपयोग मे लेना पसंद करती है ।


५. पिछले सत्तर सालों में सरकारो द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र को सदा कम अहमियत दी गई है और अपनी इस नाकामयाबी को छुपाने के लिए सरकार ने निजी क्षेत्र का सहारा लिया, जिस कारण आज स्वास्थ्य क्षेत्र की सत्तर प्रतिशत सेवाएं और अन्य पैरा-मेडिकल सेवाये निजी क्षेत्र द्वारा दी जा रही हैं


६. निजी क्षेत्र द्वारा प्रदेश के दूर-दराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की उन्नत तकनीक पहुँचाई गई है, जिस कार्य मे सरकार आज़ादी के सत्तर साल बाद भी विफल रही है।


७. यह सर्वविदित है कि स्वास्थ्य क्षेत्र की उन्नत तकनीक की व्यवस्था करने मे निजी क्षेत्र को अपने स्वयं के निजी धन का उपयोग करना पड़ता है, जिस संदर्भ मे सरकार द्वारा उसे भूमि, निर्माण, बिजली, ऋण आदि मे कोई रियायत नहीं दी जाती है ।


८. इसके बावजूद भी स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य कर रहे निजी क्षेत्र पर क़रीब 54 कठोर क़ानून लागू होते है, जिनकी पालना में निजी अस्पतालों को प्रति-वर्ष लाखों रुपयों का भुगतान करना पड़ता है, जिसकी वजह से निजी अस्पतालों में इलाज महँगा होता जाता है। इसके अलावा गुणवत्तापूर्ण इलाज में महँगी मशीने की आवश्यकता होती है, जिसमे करोड़ों रुपए का खर्चा होता है। इन सब में सरकार निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को कभी कोई रियायत उपलब्ध नहीं करवाती। इसके बावजूद भी राजस्थान के निजी स्वास्थ्य सेवाओ की दरें देश में अन्य राज्यों की तुलना में काफ़ी कम है ।


*"राइट टू हेल्थ" (RTH) कानून का चिकित्सकों द्वारा विरोध क्यों? क्यों चिकित्सकों के लिए यह है "काला कानून"?*


- निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है। सरकार पिछले सत्तर वर्षों में, स्वास्थ्य क्षेत्र में, अपनी विफलता का ठीकरा निजी क्षेत्र पर ‘राइट टू हेल्थ (RTH) अधिनियम के रूप में थोपना चाहती है ।

- RTH अगर लागू किया गया तो हर निजी अस्पताल/क्लिनिक को हर मरीज़ की आपातकालीन स्थिति अर्थात इमरजेंसी मे इलाज मुफ़्त में देना होगा, क्या ये व्यावहारिक है ?

- हर मरीज़ की छोटी से छोटी पीड़ा भी उसके लिए इमरजेंसी होती है । RTH में इमरजेंसी की स्पष्ट व्याख्या नहीं की गई है । यदि यह बिल लागू हुआ तो हर व्यक्ति अपनी छोटी से छोटी पीड़ा को इमरजेंसी का नाम देकर किसी भी निजी चिकित्सक/अस्पताल से किसी भी समय मुफ़्त में इलाज लेने के लिए विवाद करेगा । इस कारण फिर कोई भी मरीज़ नियमित ओपीडी में चिकित्सक को न दिखाकर, इमरजेंसी बताकर हर बीमारी को मुफ़्त में दिखाने का प्रयास करेगा, जिसके कारण अस्पतालों का खर्चा निकलना ही मुश्किल हो जाएगा और निजी अस्पताल बंद होने की कगार पर पहुँच जाएँगे ।

- आए दिन इस कारण होने वाले मरीजों के इस विवाद से निजी अस्पतालों में नियमित रूप से मरीज और चिकित्सकों का टकराव आम हो जाएगा, मरीजों द्वारा की जाने वाली झूठी-सच्ची शिकायतों में इजाफा होगा।

- चिकित्सकों के लिए यह अधिनियम एक अन्य प्राधिकरण उपस्थित करेगा, जो पुनः के नवीन इंस्पेक्टरराज और वसूली का ज़रिया इनपर थोपेगा। इससे निजी अस्पतालों का संचालन बेहद मुश्किल हो जाएगा।

- उक्त प्राधिकरण के निर्णय के विरुद्ध संबंधित चिकित्सकों को न्यायालय मे अपील करने से इस अधिनियम में वंचित रखा गया है। यह अपने आप मे पूर्णतयः असंवैधानिक है।

- इस संदर्भ में कही पर भी निजी चिकित्सकों की मुफ़्त मे दी जाने वाली सेवाओ के पुनर्भुगतान की सरकार द्वारा कोई भी साफ़ रूप-रेखा का वर्णन नहीं किया गया है।

- यदि यह बिल लागू हुआ तो निजी चिकित्सा क्षेत्र धीरे-धीरे प्रदेश से समाप्त हो जाएगा, निजी चिकित्सक और अस्पताल संचालक पड़ोस के राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो जाएँगे और स्वास्थ्य का संपूर्ण भार सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्रों पर बढ़ जाएगा। अतः यह बिल जनता के हित में भी नहीं है ।

- आप सभी ख़ुद बताइए की यें पड़ोस के राज्यों में निजी अस्पताल और चिकित्सा सेवाये इतनी उत्तम कैसे है, क्यूकि वहाँ पर सरकार द्वारा निजी क्षेत्र को मुफ्त सेवाएं देने को मजबूर नहीं किया जाता।

- गुणवत्तापूर्ण इलाज हेतु उत्तम और आधुनिक ताकनिक और दवाईयो का उपयोग होता है, जो निःशुल्क इलाज की बाध्यता के अधिनियम के कारण निजी अस्पताल मरीज़ को उपलब्ध नहीं करा पायेंगे।

- सरकार ने RTH के लिए बजट का प्रावधान मात्र ₹ 1.70 प्रति मरीज का रखा है। क्या इतनी कमतर धनराशि से किसी मरीज का व्यवहारिक इलाज किया जा सकता है?

- RTH के अधिनियम बनने के बाद जब इमरजेंसी के नाम पर मरीज अपनी छोटी छोटी बीमारियों के मुफ्त इलाज के लिए चिकित्सकों को मजबूर करेंगे, तो जो बीमारियां वास्तविक इमरजेंसी हैं, जैसे हृदय रोग, जिगर रोग, मस्तिष्क रोग आदि, उसमे चिकित्सक उपयुक्त समय और संसाधन नहीं दे पाएंगे।

-RTH बिल में चिकित्सकों के दायित्वों का बखान है पर मरीजों और उनके परिजनों के संबंध में किन्हीं जिम्मेदारियों का वर्णन नहीं किया गया है। आज आए दिन निजी चिकित्सक/अस्पताल मौताणा, असंतुष्ट मरीजों द्वारा हिंसा, जन प्रतिनिधियों की दादागिरी से परेशान हैं। अधिनियम के आ जाने पर ये दिक्कतें हर दिन और बढ़ेंगी।

-बिल में इलाज के पुनर्भुगतान की समय सीमा का वर्णन नहीं है और देरी से भुगतान पिछली चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना में गंभीर परेशानी रही है।

-एक बार अधिनियम आ जाने के बाद सरकार, वोटों की लालच में, उसमे मन माफिक कभी भी कोई ऐसा प्रावधान जोड़ सकती है जिससे भविष्य में चिकित्सकों को पेशेवर प्रताड़ना का शिकार बनना पड़े। इसलिए यह बिल नहीं आना चाहिए।

Wednesday 29 March 2023

एक चिकित्सक का दर्द #No to RTH

 ©Dr. Praveen Sharma

Blog सुसंग्रह

Kindly go through my new bilingual composition

*"एक चिकित्सक का दर्द"*

Requesting you to share it in original state, without editing 🙏.

.

The healer's heart now bears a weight, 

For law has come that seal our fate. 

No longer can we heal with care, 

Our hands are tied, our souls laid bare.


The RTH bill is our greatest foe, 

It robs us of our freedom to grow. 

No longer can we choose our ways, 

Our practice now a pawn in the government's plays.


The patients suffer, the doctors too, 

Forced to work with laws askew. 

Our skills and knowledge go to waste, 

As regulations leave no room for haste.


We ask for mercy, we ask for peace, 

For laws that help, not those that fleece. 

Let us heal with all our might, 

With laws that do not shackle our sight.

#No to RTH

#Roll back RTH

#Save Doctors to save yourself

.

आज चिकित्सकों के दिलों पर गहरा अंधकार है छाया,

कि उनकी किस्मत उजाड़ दे, ऐसा काला कानून है आया।

कैसे आपकी स्वास्थ्य सुरक्षा हम करेंगे,

कि आत्माएं हमारी आहत होंगी और हाथ हमारे होंगे बंधे।।


यह RTH का नया कानून नहीं हमारा दुश्मन है,

जिसने छीना हमसे हमारी तरक्की और सुख चैन है।

अब हम आजाद नहीं चुनने को आपके स्वास्थ्य की बेहतर राहें,

सरकार की वोट राजनीति की शतरंज पर हम बन गए हैं महज प्यादे।।


सिर्फ चिकित्सक समुदाय ही नही, मासूम रोगियों को भी इसका दंश अब होगा भोगना,

कि ऐसे टेढ़े लोकहित विरोधी कड़े कानूनों के साए में अब इस महान व्यवसाय को पड़ेगा अब जीना।

अब कोई मायने नहीं रह जाएंगे हमारे कौशल और ज्ञान,

जल्दबाजी में महामहिम ले आए हैं ऐसे नियमों और कानून का आदान।।


हम सभी एक स्वर में चाहते हैं शांति और आपके तानाशाही फैसले पर पुनर्विचार,

कि कानून जनता और जनसेवकों (चिकित्सकों) की मदद को हों, ना कि उन्हें मूंडने को तैयार।

महोदय, अहंकार छोड़िए, करने दीजिए चिकित्सकों को बेहतर जन स्वास्थ्य का काम,

कीजिए काले कानूनों से भयमुक्त और स्वस्थ प्रतिस्पर्धी वातावरण का इंतजाम।।

#No to RTH

#Roll back RTH

#Save Doctors to save yourself

Sunday 16 October 2022

हिन्दी भाषा के बारे में कुछ तथ्य

क्या तुम्हें पता है:-

·        हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।  हिंदी या जिसे आधुनिक मानक हिंदी के रूप में जाना जाता है, एक इंडो-आर्यन भाषा है।  हिंदी उर्दू के साथ हिंदुस्तानी का एक मानकीकृत रूप है।  हिंदी और उर्दू में महत्वपूर्ण समानताएं हैं लेकिन उन्हें अभी भी हिंदुस्तानी के दो रूप माना जाता है।

·        भारत के बाहर, कई अन्य भाषाओं को भी हिंदी के रूप में मान्यता प्राप्त है, लेकिन मानक हिंदी नहीं हैं।  हिंदी न केवल भारत में बल्कि मॉरीशस, फिजी, गुयाना, नेपाल, त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे कई अन्य स्थानों में भी बोली जाती है।

·        अंग्रेजी ने हिंदी से कई अलग-अलग शब्द उधार लिए हैं।  कुछ उदाहरणों में अवतार, शैम्पू, पायजामा, शर्बत, योग, कर्म, गुरु, निर्वाण, जंगल शामिल हैं।

·        हिंदी में प्रत्येक अक्षर की अपनी स्वतंत्र और विशिष्ट ध्वनि होती है।  इसलिए, हिंदी के शब्दों का उच्चारण वैसे ही किया जाता है जैसे वे लिखे जाते हैं।  दुनिया में हर संभव ध्वनि को आसानी से हिंदी में लिखा जा सकता है।  आधुनिक देवनागरी लिपि 11वीं शताब्दी में अस्तित्व में आई।

·        वर्ष 1881 में, बिहार ने अपनी भाषा को उर्दू से हिंदी में बदल दिया और राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया।

·        हिंदी में हर संज्ञा का अपना लिंग होता है।  सभी हिंदी संज्ञाओं में लिंग होते हैं।  सभी क्रिया और विशेषण भी लिंग के अनुसार बदलते हैं।  हिंदी ‘ए’, ‘ए’ और ‘द’ जैसे लेखों से भी मुक्त है।

·        फारस और अरबी के कई शब्द हिंदी से लिए गए हैं।

·        पहला हिंदी टाइपराइटर 1930 में बाजार में आया।

·        हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है।  भारत की कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है लेकिन हिंदी और अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा माना जाता है।

·        हिंदी में एक तरह की वाक्य संरचना है।

·        महात्मा गांधी वह थे जिन्होंने लोगों को स्वतंत्रता के दौरान सामूहिक आवाज और विरोध और संचार की भाषा के रूप में हिंदी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया और इसलिए इसे एकता की भाषा माना जाता है।

·        बोली जाने वाली हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है।  इसके क्षेत्रीय रूप हैं जैसे मानक हिंदी, नागरी हिंदी, साहित्यिक हिंदी और उच्च हिंदी।

 ये हिंदी भाषा के कुछ तथ्य हैं।

 


 

Did you know

·        Hindi is one of the most spoken languages in the world. Hindi or precisely known as the modern standard Hindi is an Indo-Aryan language. Hindi is a standardized form of Hindustani along with Urdu. Hindi and Urdu share significant similarities but they are still considered to be two variants of Hindustani.

·        Outside India, several other languages are also recognized as Hindi but are not standard Hindi. Hindi is not only spoken in India but also in many other places like Mauritius, Fiji, Guyana, Nepal, Trinidad and Tobago.

·        English has borrowed many different words from Hindi. Some of the examples include avatar, shampoo, pyjama, sorbet, yoga, karma, guru, nirvana, jungle.

·        Each letter in Hindi has its independent and distinct sound. Hence, Hindi words are pronounced as they are written. Every possible sound in the world can be easily written in Hindi. The modern Devanagari script came into existence in the 11th century.

·        In the year 1881, Bihar changed its language from Urdu to Hindi and became the first state in India to adopt Hindi as an official language of the state.

·        In Hindi, every noun has its gender. All Hindi nouns have genders. All verbs and adjectives also change according to gender. Hindi is also free of articles like ‘a’, ‘an’ & ‘the’.

·        Many words from Persia and Arabic are taken from Hindi.

·        The first Hindi typewriter came to market in 1930.

·        Hindi is not the National language of India. India does not have a National language but Hindi and English are considered as official languages.

·        Hindi has a one of a kind sentence structure.

·        Mahatma Gandhi was the one who encouraged people to use Hindi as a collective voice during the Independence and the language of protest and communication and hence is considered as the language of unity.

·        Spoken Hindi is not just one language. It has its regional variants such as standard Hindi, Nagari Hindi, literary Hindi and high Hindi.

These are some of the facts of the Hindi language.

 


 

 

کیا آپ جانتے ہیں؟

 ہندی دنیا میں سب سے زیادہ بولی جانے والی زبانوں میں سے ایک ہے۔  ہندی یا بالکل جدید معیاری ہندی کے نام سے جانا جاتا ہے ایک ہند آریائی زبان ہے۔  ہندی اردو کے ساتھ ہندوستانی کی ایک معیاری شکل ہے۔  ہندی اور اردو میں نمایاں مماثلت پائی جاتی ہے لیکن انہیں اب بھی ہندوستانی کی دو شکلیں سمجھا جاتا ہے۔

 ہندوستان سے باہر، کئی دوسری زبانیں بھی ہندی کے طور پر پہچانی جاتی ہیں لیکن معیاری ہندی نہیں ہیں۔  ہندی نہ صرف ہندوستان میں بولی جاتی ہے بلکہ ماریشس، فجی، گیانا، نیپال، ٹرینیڈاڈ اور ٹوباگو جیسے کئی دیگر مقامات پر بھی بولی جاتی ہے۔

 انگریزی نے ہندی سے بہت سے مختلف الفاظ مستعار لیے ہیں۔  کچھ مثالوں میں اوتار، شیمپو، پائجاما، شربت، یوگا، کرما، گرو، نروان، جنگل شامل ہیں۔

 ہندی میں ہر حرف کی اپنی آزاد اور الگ آواز ہوتی ہے۔  اس لیے ہندی کے الفاظ لکھے جانے کے ساتھ ہی تلفظ کیے جاتے ہیں۔  دنیا کی ہر ممکنہ آواز کو آسانی سے ہندی میں لکھا جا سکتا ہے۔  جدید دیوناگری رسم الخط 11ویں صدی میں وجود میں آیا۔

 سال 1881 میں، بہار نے اپنی زبان اردو سے ہندی میں تبدیل کی اور ہندی کو ریاست کی سرکاری زبان کے طور پر اپنانے والی ہندوستان کی پہلی ریاست بن گئی۔

 ہندی میں ہر اسم کی اپنی جنس ہوتی ہے۔  تمام ہندی اسموں کی جنس ہوتی ہے۔  تمام فعل اور صفت بھی جنس کے مطابق بدلتے ہیں۔  ہندی بھی 'a'، 'an' اور 'the' جیسے مضامین سے پاک ہے۔

 فارسی اور عربی کے بہت سے الفاظ ہندی سے لیے گئے ہیں۔

 پہلا ہندی ٹائپ رائٹر 1930 میں مارکیٹ میں آیا۔

 ہندی ہندوستان کی قومی زبان نہیں ہے۔  ہندوستان کی کوئی قومی زبان نہیں ہے لیکن ہندی اور انگریزی کو سرکاری زبانیں سمجھا جاتا ہے۔

 ہندی میں جملے کی ساخت ایک طرح کی ہے۔

 مہاتما گاندھی ہی تھے جنہوں نے آزادی کے دوران لوگوں کو ہندی کو ایک اجتماعی آواز کے طور پر استعمال کرنے اور احتجاج اور رابطے کی زبان کے طور پر استعمال کرنے کی ترغیب دی اور اسی لیے اسے اتحاد کی زبان سمجھا جاتا ہے۔

 بولی جانے والی ہندی صرف ایک زبان نہیں ہے۔  اس کی علاقائی شکلیں ہیں جیسے معیاری ہندی، نگری ہندی، ادبی ہندی اور اعلی ہندی۔

 یہ ہندی زبان کے چند حقائق ہیں۔

Friday 23 September 2022

मेरा प्रेम

नि:संदेह मेरी "स्नेह".....
मेरा प्रेम, मेरा स्नेह...
गंगा जल की तरह नहीं तो....
घर में रखे मिट्टी के घड़े सा...
निर्मल, पारदर्शी, शीतल....
स्वाद चाहे नहीं दे पाए....
तृप्त अवश्य करने को तत्पर...
नि:संदेह....
मुझमें बसने वाली आत्मा हो तुम.....
और अगर नही है विश्वास....
मेरी बातों में छुपी सच्चाई पर....
तो बस एक बार....
महसूस करना....
कैसा निष्प्राण हो जाता हूं मैं....
बस एक हल्के से...
तुम्हारे रूठ जाने से....
और लौट आती हैं....
धड़कनें, सांसें और जरा सी....
मुस्कुराहट भी....
बस तुम्हारे मुस्कुरा भर देने से....
❤️

Wednesday 21 September 2022

कसक

सिर्फ तुम्हीं नहीं...
मुझे प्यारा लगता है,
तुमसे जुड़ा हर नाम....
तुमसे जुड़ा हर शख्स....
चाहे फिर वो कोई भी हो....
चाहे तुम्हारे सगे संबंधी....
चाहे तुम्हारे मीत या सखा..
चाहे वो जिन्हे तुम सिर्फ जानती भर हो....
चाहे वो जो तुम्हें पहचानते भर हो....
चाहे वो जो तुम्हें चाहते हो....
या चाहे वो जिन्हें तुम चाहती हो....
उन सभी से बन जाता है...
अनजाने ही...
मेरा भी एक खास रिश्ता....
कुछ भी शिकवा...
कोई भी शिकायत नहीं होती मुझे....
उन सभी नामों से...
उन सारे रिश्तों से....
उस किसी भी शख्स से....
बस जल उठता हूं मैं...
तड़प उठता हूं....
एक असहनीय पीड़ा लिए....
तभी, जब पाता हूं.....
उन्हें तुम्हारे दिल के करीब....
और अपने आप को.....
तुम्हारे मन से दूर.....
.