मुझे प्यारा लगता है,
तुमसे जुड़ा हर नाम....
तुमसे जुड़ा हर शख्स....
।
चाहे फिर वो कोई भी हो....
चाहे तुम्हारे सगे संबंधी....
चाहे तुम्हारे मीत या सखा..
चाहे वो जिन्हे तुम सिर्फ जानती भर हो....
चाहे वो जो तुम्हें पहचानते भर हो....
चाहे वो जो तुम्हें चाहते हो....
या चाहे वो जिन्हें तुम चाहती हो....
।
उन सभी से बन जाता है...
अनजाने ही...
मेरा भी एक खास रिश्ता....
।
कुछ भी शिकवा...
कोई भी शिकायत नहीं होती मुझे....
उन सभी नामों से...
उन सारे रिश्तों से....
उस किसी भी शख्स से....
।
बस जल उठता हूं मैं...
तड़प उठता हूं....
एक असहनीय पीड़ा लिए....
।
तभी, जब पाता हूं.....
उन्हें तुम्हारे दिल के करीब....
और अपने आप को.....
तुम्हारे मन से दूर.....
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