Monday 27 November 2017

बाल संस्कार

।। बाल संस्कार ।।
अपने बच्चों  को निम्नलिखित श्लोकों को नित्य दैनन्दिनी में शामिल करने हेतु संस्कार दें एवं खुद भी पढें

*प्रात: कर-दर्शनम्*
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥

*पृथ्वी क्षमा प्रार्थना*
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडिते।
विष्णु पत्नि नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमस्व मे॥

*त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण*
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥

*स्नान मन्त्र*
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरु॥

*सूर्यनमस्कार*
ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च।।

आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥

ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

*संध्या दीप दर्शन*
शुभं करोतु कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥

दीपो ज्योतिः परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥

*गणपति स्तोत्र*
गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:।
द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥
विनायक: चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्॥
विश्वं तस्य भवेद् वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय।
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥

*आदिशक्ति वंदना*
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

*शिव स्तुति*
कर्पूर गौरं करुणावतारं,
संसार सारं भुजगेन्द्रहारं।
सदा वसंतं हृदयारविन्दे,
भवं भवानी सहितं नमामि॥

*विष्णु स्तुति*
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

*श्री कृष्ण स्तुति*
कस्तूरी तिलकं ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभं।
नासाग्रे वरमौक्तिकं करतले, वेणु करे कंकणम्॥
सर्वांगे हरिचन्दनं सुललितं, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेष्टितो विजयते, गोपाल चूडामणी॥

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्॥

*श्रीराम वंदना*
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

*एक श्लोकी रामायण*
आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीवसम्भाषणम्॥
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि श्री रामायणम्॥

*सरस्वती वंदना*
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वींणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपदमासना॥
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्याऽपहा॥

*हनुमद् वंदना*
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्।
दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये॥

*स्वस्ति-वाचन*

ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥

*शांति पाठ*
ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:,
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्व (गुँ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥

*॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥*

Thursday 23 November 2017

विवाह के सात वचन

*क्या आपको याद है विवाह के ये सात वचन..?*

हिन्दू धर्म में विवाह के समय वर-वधू द्वारा सात वचन लिए जाते हैं. इसके बाद ही विवाह संस्कार पूर्ण होता है। विवाह के बाद कन्या वर से पहला वचन लेती है कि-

पहला वचन इस प्रकार है - 
"तीर्थव्रतोद्यापनयज्ञ दानं मया सह त्वं यदि कान्तकुर्या:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद वाक्यं प्रथमं कुमारी॥"

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार कन्या कहती है कि स्वामि तीर्थ, व्रत, उद्यापन, यज्ञ, दान आदि सभी शुभ कर्म तुम मेरे साथ ही करोगे, तभी मैं तुम्हारे वाम अंग में आ सकती हूँ, अर्थात् तुम्हारी पत्नी बन सकती हूं। वाम अंग पत्नी का स्थान होता है।

दूसरा वचन इस प्रकार है-
"हव्यप्रदानैरमरान् पितृश्चं कव्यं प्रदानैर्यदि पूजयेथा:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं द्वितीयकम्॥"

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार कन्या वर से कहती है कि यदि तुम हव्य देकर देवताओं को और कव्य देकर पितरों की पूजा करोगे, तब ही मैं तुम्हारे वाम अंग में आ सकती हूं यानी पत्नी बन सकती हूँ।

तीसरा वचन इस प्रकार है-
"कुटुम्बरक्षाभरंणं यदि त्वं कुर्या: पशूनां परिपालनं च।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं तृतीयम्॥"

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार कन्या वर से कहती है कि यदि तुम मेरी तथा परिवार की रक्षा करो तथा घर के पालतू पशुओं का पालन करो, तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आ सकती हूं यानी पत्नी बन सकती हूँ।

चौथा वचन इस प्रकार है -
"आयं व्ययं धान्यधनादिकानां पृष्टवा निवेशं प्रगृहं निदध्या:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं चतुर्थकम्॥

अर्थ - चौथे वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि तुम धन-धान्य आदि का आय-व्यय मेरी सहमति से करो तो मैं तुम्हारे वाग अंग में आ सकती हैं अर्थात् पत्नी बन सकती हूँ।

पांचवां वचन इस प्रकार है -
देवालयारामतडागकूपं वापी विदध्या:यदि पूजयेथा:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं पंचमम्॥

अर्थ - पांचवे वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि तुम यथा शक्ति देवालय, बाग, कूआं, तालाब, बावड़ी बनवाकर पूजा करोगे, तो मैं तुम्हारे वाग अंग में आ सकती हूं अर्थात् पत्नी बन सकती हूँ।

छठा वचन इस प्रकार है -
"देशान्तरे वा स्वपुरान्तरे वा यदा विदध्या:क्रयविक्रये त्वम्।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं षष्ठम्॥

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार कन्या वर से कहती है कि यदि तुम अपने नगर में या विदेश में या कहीं भी जाकर व्यापार या नौकरी करोगे, और घर-परिवार का पालन-पोषण करोगे तो मैं तुम्हारे वाग अंग में आ सकती हूं यानी पत्नी बन सकती हूँ।

सातवां वचन इस प्रकार है -
"न सेवनीया परिकी यजाया त्वया भवेभाविनि कामनीश्च।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं सप्तम्॥"

अर्थ - इस श्लोक के अनुसार सातवां और अंतिम वचन यह है कि कन्या वर से कहती है यदि तुम जीवन में कभी पराई स्त्री को स्पर्श नहीं करोगे तो, मैं तुम्हारे वाम अंग में आ सकती हूं यानी पत्नी बन सकती हूँ।

शास्त्रों के अनुसार पत्नी का स्थान पति के वाम अंग की ओर यानी बाएं हाथ की ओर रहता है. विवाह से पूर्व कन्या को पति के सीधे हाथ यानी दाएं हाथ की ओर बिठाया जाता है, और विवाह के बाद जब कन्या वर की पत्नी बन जाती है जब वह बाएं हाथ की ओर बिठाया जाता है।

Wednesday 15 November 2017

प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर मंत्र संग्रह

🌅🔔🌿 *प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर मंत्र संग्रह*

  *🔹 प्रात: कर-दर्शनम्🔹*

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥

         *🔸पृथ्वी क्षमा प्रार्थना🔸*

समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते।
विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव॥

*🔺त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण🔺*

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥

              *♥ स्नान मन्त्र ♥*

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥

           *🌞 सूर्यनमस्कार🌞*

ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥

ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

                *🔥दीप दर्शन🔥*

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥

            *🌷 गणपति स्तोत्र 🌷*

गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:।
द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥
विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्॥
विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्।

विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय।
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये॥

        *⚡आदिशक्ति वंदना ⚡*

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

           *🔴 शिव स्तुति 🔴*

कर्पूर गौरम करुणावतारं,
संसार सारं भुजगेन्द्र हारं।
सदा वसंतं हृदयार विन्दे,
भवं भवानी सहितं नमामि॥

              *🔵 विष्णु स्तुति 🔵*

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

            *⚫ श्री कृष्ण स्तुति ⚫*

कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम॥
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्‌।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्‌॥

            *⚪ श्रीराम वंदना ⚪*

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

               *♦श्रीरामाष्टक♦*

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

    *🔱 एक श्लोकी रामायण 🔱*

आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीवसम्भाषणम्॥
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि श्री रामायणम्॥

           *🍁सरस्वती वंदना🍁*

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वींणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपदमासना॥
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्याऽपहा॥

            *🔔हनुमान वंदना🔔*

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्‌।
दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्‌।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये॥

         *🌹 स्वस्ति-वाचन 🌹*

ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥

            *❄ शांति पाठ ❄*

ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्‌ पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:,
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्व (गुँ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥

*॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥*

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बहुत ही सुंदर संग्रह
इसे हर हिन्दू को अपने 'saver' में डाले या प्रिंट आउट ले । ऐसा संग्रह सरलता से नही मिलता ।
एक प्रति परिवार के बच्चों को भी दे ।
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*पर्स में रखें ये दो चीजें*

आजकल की मंहगाई के दौर में हर इंसान चाहता है कि उसकी पर्स हमेशा पैसों से भरी रहे,लेकिन कुछ लोगों के साथ ऐसा होता है कि वो कमाते तो बहुत हैं लेकिन वक़्त बेवक़्त उनकी पर्स खाली जरूर हो जाती है तो आइए आज हम इसी समस्या का समाधान जानते हैं और जानेंगे कि किन दो वस्तुओं को अगर अपनी पर्स में रखा जाए तो कभी पैसों की कमी नहीं होगी-

(1) किन्नर द्वारा लिया हुआ सिक्का रखें-

यदि आप भी चाहते हैं कि आपकी पर्स या गुल्लक हमेशा पैसों से भरा रहे तो इसके लिए आपको ये आसान उपाय करना चाहिए। आप किसी किन्नर को कुछ पैसे दान में दे,इसके बाद उससे कहें कि वो आपको अपने पास से एक सिक्का वापस कर दे। अगर किन्नर आपको खुशी खुशी एक सिक्का दे देता है तो आप उस सिक्के को एक हरे कपड़े में लपेटकर अपनी पर्स में रख लें, भविष्य में आपकी पर्स हमेशा पैसों से भरी रहेगी।

(2) पीपल का पत्ता पर्स में रखें-

यह एक बेहद आसान और सिद्ध उपाय है।हिन्दू धर्म में पीपल के वृक्ष को विशेष मान्यता दी गयी है। ग्रंथों के अनुसार पीपल के वृक्ष पर भगवान विष्णु का वास स्थान माना जाता है। इस उपाय को करने के लिए एक पीपल का पत्ता लें और इसको गंगाजल से धुलकर इस पर केसर से श्री लिखें एवं इस पवित्र पत्ते को पर्स में इस प्रकार रखें कि यह किसी को भी नजर ना आये।इस उपाय में 2 बातों का विशेष ध्यान रखना है पहला यह कि पर्स चमड़े की न ही और दूसरा यह कि समय समय पर आप इस पत्ते को बदलते रहें।अगर आप इस उपाय को करते हैं तो बहुत जल्द ही आपको असर दिखना शुरू हो जाएगा।