Friday 23 September 2022

मेरा प्रेम

नि:संदेह मेरी "स्नेह".....
मेरा प्रेम, मेरा स्नेह...
गंगा जल की तरह नहीं तो....
घर में रखे मिट्टी के घड़े सा...
निर्मल, पारदर्शी, शीतल....
स्वाद चाहे नहीं दे पाए....
तृप्त अवश्य करने को तत्पर...
नि:संदेह....
मुझमें बसने वाली आत्मा हो तुम.....
और अगर नही है विश्वास....
मेरी बातों में छुपी सच्चाई पर....
तो बस एक बार....
महसूस करना....
कैसा निष्प्राण हो जाता हूं मैं....
बस एक हल्के से...
तुम्हारे रूठ जाने से....
और लौट आती हैं....
धड़कनें, सांसें और जरा सी....
मुस्कुराहट भी....
बस तुम्हारे मुस्कुरा भर देने से....
❤️

Wednesday 21 September 2022

कसक

सिर्फ तुम्हीं नहीं...
मुझे प्यारा लगता है,
तुमसे जुड़ा हर नाम....
तुमसे जुड़ा हर शख्स....
चाहे फिर वो कोई भी हो....
चाहे तुम्हारे सगे संबंधी....
चाहे तुम्हारे मीत या सखा..
चाहे वो जिन्हे तुम सिर्फ जानती भर हो....
चाहे वो जो तुम्हें पहचानते भर हो....
चाहे वो जो तुम्हें चाहते हो....
या चाहे वो जिन्हें तुम चाहती हो....
उन सभी से बन जाता है...
अनजाने ही...
मेरा भी एक खास रिश्ता....
कुछ भी शिकवा...
कोई भी शिकायत नहीं होती मुझे....
उन सभी नामों से...
उन सारे रिश्तों से....
उस किसी भी शख्स से....
बस जल उठता हूं मैं...
तड़प उठता हूं....
एक असहनीय पीड़ा लिए....
तभी, जब पाता हूं.....
उन्हें तुम्हारे दिल के करीब....
और अपने आप को.....
तुम्हारे मन से दूर.....
.

काश..!

काश..!
तुमने देखी होती....
कुछ पानी की बूंदें....
मेरी पलकों पर....
काश..!
तुमने देखी होती....
मेरी कामयाब कोशिशें....
जो रोक पाई उन बूंदों को....
छलक जाने से....
ताकि भीग न जाए वो कागज़....
या फिर तुम कहीं पिघल न जाओ....
फिर एक बार ....
.