Tuesday 25 November 2014

Be positive....

A famous writer was in his study room. He picked up his pen and started writing:

**Last year, I had a surgery and my gall bladder was removed. I had to stay stuck to the bed due to this surgery for a long time.

**The same year I reached the age of 60 years and had to give up my favourite job. I had spent 30 years of my life in this publishing company.

**The same year I experienced the sorrow of the death of my father.

**And in the same year my son failed in his medical exam because he had a car accident. He had to stay in bed at hospital with the cast on for several days. The destruction of car was another loss.

At the end he wrote: Alas! It was such bad year!!

When the writer's wife entered the room, she found he husband looking sad lost in his thoughts.

From behind his back she read what was written on the paper.

She left the room silently and came back with another paper and placed it on side of her husband's writing.

When the writer saw this paper, he found this written on it:

**Last year I finally got rid of my gall bladder due to which I had spent years in pain.

**I turned 60 with sound health and got retired from my job. Now I can utilize my time to write something better with more focus and peace.

**The same year my father, at the age of 95, without depending on anyone or without any critical condition met his Creator.

**The same year, God blessed my son with a new life. My car was destroyed but my son stayed alive without getting any disability.

At the end she wrote:
This year was an immense blessing of God and it passed well!!

Moral : In daily lives we must see that its not happiness that makes us grateful but gratefulness that makes us happy.

Friday 14 November 2014

शिक्षा और स्वास्थ्य में महिलाओं की भूमिका

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आदरणीय अध्यक्ष महोदया, विशिष्ट अतिथि महोदया, आदर्श विद्या मंदिर के संरक्षक महोदय, प्रधानाचार्य महोदय, सभी अध्यापकगण एवं प्यारे बच्चों।
शिक्षा एक ऐसी चीज है जो हर इंसान के लिए इस तरह महत्वपूर्ण है जिस तरह ऑक्सीजन जीवन के लिए जरूरी है. शिक्षा के बिना मनुष्य बिल्कुल जानवर की तरह है।
ज्ञान ही मनुष्य को अधिकार की राह की ओर ले जाता है. शिक्षा के महत्व के बारे में लगभग सभी लोग परिचित हैं और इसी कारण कई लोग अपने जीवन को ज्ञान की प्राप्ति के लिए निछावर कर देते हैं।
आज के विकसित दौर में जो भी देश का निर्माण व विकास चाहता है वह अपनी विकास यात्रा में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भागीदारी भी चाहता है। क्योंकि किसी भी देश का विकास व उन्नति में पुरुषों के साथ महिलाओं की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है।
वैसे तो शिक्षा व ज्ञान प्राप्त करना हरेक का अधिकार है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए शिक्षा प्राप्ति ज्यादा जरूरी है क्योंकि उन्होंने आगे आने वाली पीढ़ी की अच्छी शिक्षा और प्रशिक्षण जो करनी होती है. आगे आने वाली पीढ़ी की अच्छी शिक्षा और प्रशिक्षण में एक पढ़ी-लिखी माँ ही बेहतर हिस्सा ले सकती है. इसलिए उनका शिक्षित होना जरूरी है ताकि वह देश की खुशहाली और स्थिरता में अपनी भूमिका निभा सकें! देखने में आया है कि पढ़ी लिखी माँ अपने बच्चों का स्वास्थ्य और शिक्षा और प्रशिक्षण का बेहतर रूप-रेखा तैयार कर सकती हैं और उनका बेहतर खयाल कर सकती हैं।
अनपढ़ या कम पढ़ी लिखी महिलाएं अपने बच्चों की उस तरह परवरिश नहीं कर पाती हैं जिस तरह से परवरिश करनी चाहिए साथ ही उसके बच्चे भी बीमारियों का शिकार रहते हैं, क्योंकि वह स्वास्थ्य नियमों के अनुसार अपने बच्चों की परवरिश नहीं कर पाती हैं. जबकि पढ़ी लिखी माँ बच्चे की शुरूआत से ही बेहतरीन ख़याल रखती हैं भोजन उचित देने के कारण वह स्वस्थ रहते हैं.
जब माँ अच्छी परवरिश देकर बच्चों को अच्छी दिशा देंगीं तो हमारा राष्ट्र भी अच्छा राष्ट्र बनेगा।
एक पढ़ी लिखी और जागरूक माँ ही अपने बच्चों को इंटरनेट, केबल और वीडियो गेम के प्रभाव से सुरक्षित रख सकती है और समय की आवश्यकताओं के अनुसार अपने बच्चों का प्रशिक्षण सही रूप से कर सकती है. क्योंकि शिक्षित होने की वजह से वह अच्छे बुरे की तमीज़ बेहतर कर सकती है जो कि बच्चों को एक अच्छा इंसान और उपयोगी नागरिक बनाने में सहायक सिद्ध होता है।
कई महिलाएं पूर्ण रूप से शिक्षा और समाज की जानकारी चाहती हैं, लेकिन सामाजिक प्रथा व रिवाज़ और पर्दे के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं और इसके साथ ही घर वाले भी लड़कियों की पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं देते जो एक चिंतनीय विषय है।
ऐसे में यह हम सबकी सामाजिक व नैतिक जिम्मेदारी है कि महिलाएं भी शिक्षित हो कर आने वाले भविष्य और समय में आने वाली पीढ़ी को विकसित कर पाए तथा अपनी योग्यताओं को भी प्रयोग में ला सकें।
आजकल महिलाओं में शिक्षा पाने की चेतना उजागर हुई है. जिसकी वजह से अब पहले की तुलना में काफी संख्या में महिलाएं विभिन्न क्षेत्र में पढ़ाई कर रही हैं और अलग-अलग विभाग में नौकरी कर के देश की सेवा के साथ साथ घरवालों का प्रायोजन कर रही हैं. और देखने में यह भी आया है की घर के प्रमुख के ना रहने की स्थिति में या घर का प्रमुख कामकाज के योग्य ना-रहने की वजह से घर प्रणाली चलाने की जिम्मेदारी भी महिलाएं बा-खूबी संभाल लेती हैं इसके अलावा आज के इस दौर में जब महंगाई की मार हर जगह पड़ रही है, कमाने वाला एक और खाने वाले दस हो तो यह जरूरी हो जाता है कि आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए महिलाएं भी पुरुषों के साथ काम करें और यह तभी संभव होता है जब वह शिक्षा के गहने से सुसज्जित हों।
इसलिए हर महिला को जितनी भी हो सके शिक्षा के मैदान में आगे आना चाहिए ताकि कल को किसी भी अप्रिय स्थिति में अपने पांव पर खुद खड़ी हो सकें और किसी पर बोझ न बनें….
अंत में मैं आप सभी का आभार प्रकट करते हुए अपना स्थान ग्रहण करना चाहती हूँ। धन्यवाद।

Thursday 13 November 2014

WHEN YOU THOUGHT I WASN'T LOOKING

WHEN YOU THOUGHT I WASN'T LOOKING

A message every adult should read because children are watching you and doing as you do, not as you say.

When you thought I wasn't looking I saw you hang my first painting on the refrigerator, and I immediately wanted to paint another one.

When you thought I wasn't looking I saw you feed the birds in winter, and I learned that it was good to be kind to animals.

When you thought I wasn't looking I saw you make my favourite cake for me, and I learned that the little things can be the special things in life.

When you thought I wasn't looking I saw you make a meal and take it to a friend who was sick, and I learned that we all have to help take care of each other.

When you thought I wasn't looking I saw you take care of our house and everyone in it, and I learned we have to take care of what we are given.

When you thought I wasn't looking I saw how you handled your responsibilities, even when you didn't feel good, and I learned that I would have to be responsible when I grow up.

When you thought I wasn't looking I saw you hold  the door open for others and heard 'thank you' and 'you're welcome', and I learned respect for others.

When you thought I wasn't looking I saw tears come from your eyes, and I learned that sometimes things hurt, but it's all right to cry.

When you thought I wasn't looking I saw that you cared, and I wanted to be everything that I could be..

When you thought I wasn't looking I learned most of  life's lessons that I need to know to be a good and productive person when I grow up.

When you thought I wasn't looking I looked at you and  wanted to say, Thanks for all the things I saw when you thought I wasn't looking.'

I AM SENDING THIS TO ALL OF THE PEOPLE I KNOW, WHO DO SO MUCH FOR OTHERS, BUT THINK THAT NO ONE EVER SEES.
LITTLE EYES SEE A LOT ..

Each of us (parent, grandparent, aunt, uncle, teacher, friend) influence the life of a child.

Live simply,
Love generously,
Care deeply,
Speak kindly.

कैसे पाएं माँ लक्ष्मी की कृपा

अगर आप धन की कमी से परेशान हैं तो घबराने की जरूरत नहीं, यहां हम कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जिनको आजमाकर आप भी धन धान्य और समृद्धि से पूर्ण हो सकते हैं।
1. सबसे पहले सुबह उठ कर अपनी हथेलियों को जरूर देखें और मन ही मन मां लक्ष्मी की कृपा मांगें।
2. किसी भी विशेष कार्य पर या ऑफिस जाते समय एक दाना केसर का मुंह में रखकर घर से निकलें। ऐसा करने से आपको लक्ष्मी जी की कृपा मिलती है।
3. कभी भी कर्ज मंगलवार के दिन न लें। साथ ही कर्ज की पहली किश्त बुधवार को देना शुरु करें। कर्ज के लिए कोई बात भी मंगलवार से शुरू न करें।
4. यदि आपके आस पास लक्ष्मी मंदिर या अन्नपूर्णा मंदिर हो तो वहां से थोड़े से अक्षत (चावल) घर लाकर लाल वस्त्र में लपेट कर घर में ही धन रखने के स्थान में रखें।
5. मूंग की दाल खाना और दान करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। अगर आप इसकी शुरुआत बुधवार से करते हैं तो उसकी शुभता की ज्यादा वृद्धि होती है।
6. सप्ताह में एक दिन अपने कार्य क्षेत्र के किसी कर्मचारी को भरपेट भोजन अवश्य कराएं। विशेष तौर पर शनिवार को भोजन करवाने से आपको धन लाभ मिलेगा।
7. अपने कार्यक्षेत्र या वर्क टेबल पर एक खड़ी हल्दी की गांठ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करा कर के पीले कपड़े में बांधकर रखना आर्थिक स्थिति में विशेष लाभ देता है।
8. ऋण को कम करने वाले गणपति स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा ऋण मोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करना आर्थिक पक्ष को मजबूत करता है। आप इनके तीन पाठ करते हैं यानी 90 दिनों का अनुष्ठान करते हैं तो कितना भी आप पर कर्ज हो दूर हो जाएगा। ताकि आप पर कर्ज न रहे और आप धनवान बन सकें।
9. घर में देसी घी का दीपक जलाना और पूजा के स्थान पर थोड़ा- सा देसी घी खुले पात्र में रखना मां लक्ष्मी को आकर्षित करता है। ऐसा इसलिए क्याेंकि मां लक्ष्मी को देसी घी की सुगंध आकर्षित करती है।
10. श्री सूत्र कणक धारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
मां लक्ष्मी का दिव्य मंत्र 'ऊं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसिद्व नमः' मंत्र का नियमित 108 बार जाप करें।

Tuesday 11 November 2014

प्रेम, धन एवम् सफलता

Very nice story.
एक दिन एक औरत अपने घर के बाहर आई और उसने तीन संतों को अपने घर के सामने देखा। वह उन्हें जानती नहीं थी।
औरत ने कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन करिए।”
संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?”
औरत ने कहा – “नहीं, वे अभी बाहर गए हैं।”
संत बोले – “हम तभी भीतर आयेंगे जब वह घर पर हों।”
शाम को उस औरत का पति घर आया और औरत ने उसे यह सब बताया।
औरत के पति ने कहा – “जाओ और उनसे कहो कि मैं घर आ गया हूँ और उनको आदर सहित बुलाओ।”
औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के लिए कहा।
संत बोले – “हम सब किसी भी घर में एक साथ नहीं जाते।”
“पर क्यों?” – औरत ने पूछा।
उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन है” – फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा – “इन दोनों के नाम सफलता और प्रेम हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है।”
औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब बताया।
उसका पति बहुत प्रसन्न हो गया और बोला – “यदि ऐसा है तो हमें धन को आमंत्रित करना चाहिए। हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।”
लेकिन उसकी पत्नी ने कहा – “मुझे लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित करना चाहिए।”
उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन रही थी। वह उनके पास आई और बोली – “मुझे लगता है कि हमें प्रेम को आमंत्रित करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।”
“तुम ठीक कहती हो, हमें प्रेम को ही बुलाना चाहिए” – उसके माता-पिता ने कहा।
औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से पूछा –
“आप में से जिनका नाम प्रेम है वे कृपया घर में प्रवेश कर भोजन गृहण करें।”
प्रेम घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत भी उनके पीछे चलने लगे।
औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा – “मैंने तो सिर्फ़ प्रेम को आमंत्रित किया था। आप लोग भीतर क्यों जा रहे हैं?”
उनमें से एक ने कहा – “यदि आपने धन और सफलता में से किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल वही भीतर जाता। आपने प्रेम को आमंत्रित किया है। प्रेम कभी अकेला नहीं जाता।
प्रेम जहाँ-जहाँ जाता है, धन और सफलता उसके पीछे जाते हैं।
इस कहानी को एक बार, 2 बार, 3 बार पढ़ें........
अच्छी लगे तो प्रेम के साथ रहें, प्रेम बाटें, प्रेम दें और प्रेम लें क्योंकि प्रेम ही सफल जीवन का राज है।

No one is perfect.

Dr. APJ Abdul Kalam
Must Read
"When I was a kid, my Mom cooked food for us. One night in particular when she had made dinner after a long hard day's work, Mom placed a plate of subzi and extremely burnt roti in front of my Dad. I was waiting to see if anyone noticed the burnt roti. But Dad just ate his roti and asked me how was my day was at school.
I don't remember what I told him that night, but I do remember I heard Mom apologising to Dad for the burnt roti.
And I'll never forget what he said: "Honey, I love burnt roti."
Later that night, I went to kiss Daddy, good night & I asked him if he really liked his roti burnt.
He wrapped me in his arms & said: "Your momma put in a long hard day at work today and she was really tired. And besides... A burnt roti never hurts anyone but harsh words do!"
"You know beta - life is full of imperfect things... & imperfect people...
I'M NOT THE BEST & AM HARDLY GOOD AT ANYTHING!
I forget birthdays & anniversaries just like everyone else.
What I've learnt over the years is : To Accept Each Others Faults & Choose To Celebrate Relationships"
Life Is Too Short To Wake Up With Regrets!
Love the people who treat you right & have compassion for the ones who don't...
!!! ENJOY LIFE NOW !!!
It has an expiry date

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती,
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है,
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है,
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में,
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम,
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

Monday 10 November 2014

क्यों लगाते हैं कन्याओं पर बंदिश

एक संत की कथा में एक बालिका खड़ी हो गई।
उसके चेहरे पर आक्रोश साफ दिखाई दे रहा था।
उसके साथ आए उसके परिजनों ने उसको बिठाने की कोशिश की, लेकिन बालिका नहीं मानी।

संत ने पूछा......  बोलो बालिका क्या बात है?
बालिका ने कहा, महाराज घर में लड़के को हर प्रकार की आजादी होती है। वह कुछ भी करे, कहीं भी जाए उस पर कोई खास टोका टाकी नहीं होती।
इसके विपरीत लड़कियों को बात बात पर टोका जाता है। यह मत करो, यहाँ मत जाओ, घर जल्दी आ जाओ। आदि आदि।
संत ने उसकी बात सुनी और मुस्कुराने लगे।
उसके बाद उन्होंने कहा, बालिका तुमने कभी लोहे की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे हैं?
ये गार्डर सर्दी, गर्मी, बरसात, रात दिन इसी प्रकार पड़े रहतें हैं।
इसके बावजूद इनकी कीमत पर कोई अन्तर नहीं पड़ता। लड़कों की फितरत कुछ इसी प्रकार की है समाज में।

अब तुम चलो एक जोहरी की दुकान में। एक बड़ी तिजोरी, उसमे एक छोटी तिजोरी। उसके अन्दर कोई छोटा सा चोर खाना। उसमे से छोटी सी डिब्बी निकालेगा। डिब्बी में रेशम बिछा होगा। उस पर होगा हीरा।

क्योंकि वह जानता है कि अगर हीरे में जरा भी खरोंच आ गई तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी।
समाज में लड़कियों की अहमियत कुछ इसी प्रकार की है। हीरे की तरह।
जरा सी खरोंच से उसका और उसके परिवार के पास कुछ नहीं रहता। बस यही अन्तर है लड़ियों और लड़कों में।
इस से साफ है कि परिवार लड़कियों की परवाह अधिक करता है।
बालिका को समझ में आगया क्यों बच्चियों की फिक्र ज्यादा होती है...
जय श्री राम।

Friday 7 November 2014

सात सुख

पहला सुख - निरोगी काया,
दूजा सुख - घर में हो माया,
तीजा सुख - सुलक्षणा नारी,
चौथा सुख - हो पुत्र आज्ञाकारी,
पाँचवां सुख - हो सुन्दर वास,
छठा सुख - हो अच्छा पास,
साँतवां सुख - हो मित्र घनेरे,
और नहीं जगत में दुखः बहुतेरे !

श्री रामाष्टकम्

॥ रामाष्टकं श्रीमदानन्दरामायणे ॥


॥ अथ रामाष्टकम् ॥
श्रीशिव उवाच ।
सुग्रीवमित्रं परमं पवित्रं सीताकलत्रं नवमेघगात्रम् ।
कारुण्यपात्रं शतपत्रनेत्रं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥ ११६ ॥ १ ॥
संसारसारं निगमप्रचारं धर्मावतारं हृतभूमिभारम् ।
सदाविकारं सुखसिन्धुसारं श्रीरामचद्रं सततं नमामि ॥ ११७ ॥ २ ॥
लक्ष्मीविलासं जगतां निवासं लङ्काविनाशं भुवनप्रकाशम् ।
भूदेववासं शरदिन्दुहासं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥ ११८ ॥ ३ ॥
मन्दारमालं वचने रसालं गुणैर्विशालं हतसप्ततालम् ।
क्रव्यादकालं सुरलोकपालं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥ ११९ ॥ ४ ॥
वेदान्तगानं सकलैः समानं हृतारिमानं त्रिदशप्रधानम् ।
गजेन्द्रयानं विगतावसानं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥ १२० ॥ ५ ॥
श्यामाभिरामं नयनाभिरामं गुणाभिरामं वचनाभिरामम् ।
विश्वप्रणामं कृतभक्तकामं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥ १२१ ॥ ६ ॥
लीलाशरीरं रणरङ्गधीरं विश्वैकसारं रघुवंशहारम् ।
गम्भीरनादं जितसर्ववादं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥ १२२ ॥ ७ ॥
खले कृतान्तं स्वजने विनीतं सामोपगीतं मनसा प्रतीतम् ।
रागेण गीतं वचनादतीतं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि ॥ १२३ ॥ ८ ॥
श्रीरामचन्द्रस्य वराष्टकं त्वां मयेरितं देवि मनोहरं ये ।
पठन्ति शृण्वन्ति गृणन्ति भक्त्या ते स्वीयकामान् प्रलभन्ति नित्यम् ॥ १२४ ॥ ९ ॥

इति शतकोटिरामचरितान्तर्गते श्रीमदानन्दरामायणे
वाल्मीकीये सारकाण्डे युद्धचरिते द्वादशसर्गान्तर्गतं
             श्रीरामाष्टकं समाप्तम् ॥