Wednesday 26 October 2016

इस धरा का इस धरा पर सब धरा रह जाएगा

सुन्दर कविता जिसके अर्थ काफी गहरे हैं........

मैंने .. हर रोज .. जमाने को .. रंग बदलते देखा है ....
उम्र के साथ .. जिंदगी को .. ढंग बदलते देखा है .. !!

वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान..
उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है !!

जिनकी .. नजरों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग ..
उन्ही .. नजरों को .. बरसात .. की तरह ~~ रोते देखा है .. !!

जिनके .. हाथों के .. जरा से .. इशारे से .. टूट जाते थे ..पत्थर ..
उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. !!

जिनकी आवाज़ से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम ..
उनके .. होठों पर भी .. जबरन .. चुप्पी का ताला .. लगा देखा है .. !!

ये जवानी .. ये ताकत .. ये दौलत ~~ सब कुदरत की .. इनायत है ..
इनके .. रहते हुए भी .. इंसान को ~~ बेजान हुआ देखा है ... !!

अपने .. आज पर .. इतना ना .. इतराना ~~ मेरे .. यारों ..
वक्त की धारा में .. अच्छे अच्छों को ~~ मजबूर हुआ देखा है .. !!!

कर सको......तो किसी को खुश करो......दुःख देते ........तो हजारों को देखा है.....
क्योकि …

इस धरा का…
          इस धरा पर …
                     सब धरा रह जयेगा।

Tuesday 25 October 2016

जब मिलो किसी से

*ज्ञानपीठ लेखिका  महाश्वेता देवी जी की एक सुंदर कविता.

आ गए तुम?
द्वार खुला है, अंदर आओ..!

पर तनिक ठहरो..
ड्योढी पर पड़े पायदान पर,
अपना अहं झाड़ आना..!

मधुमालती लिपटी है मुंडेर से,
अपनी नाराज़गी वहीँ उड़ेल आना..!

तुलसी के क्यारे में,
मन की चटकन चढ़ा आना..!

अपनी व्यस्ततायें, बाहर खूंटी पर ही टांग आना..!

जूतों संग, हर नकारात्मकता उतार आना..!

बाहर किलोलते बच्चों से,
थोड़ी शरारत माँग लाना..!

वो गुलाब के गमले में, मुस्कान लगी है..
तोड़ कर पहन आना..!

लाओ, अपनी उलझनें मुझे थमा दो..
तुम्हारी थकान पर, मनुहारों का पँखा झुला दूँ..!

देखो, शाम बिछाई है मैंने,
सूरज क्षितिज पर बाँधा है,
लाली छिड़की है नभ पर..!

प्रेम और विश्वास की मद्धम आंच पर, चाय चढ़ाई है,
घूँट घूँट पीना..!
सुनो, इतना मुश्किल भी नहीं हैं जीना..!!

...महाश्वेता देवी.

Respect and love your wife.

*Love Your 'Own Beautiful Wives'*

*●Don’t shout* at your wife when you are talking. It really hurts her.

*●Never compare* your wife to another woman. If the other woman was good for you, God would have given her to you.

*●Be gentle* and accommodating. She has sacrificed so much to be with you. It hurts her deeply when you are harsh and irritating. Be tender.

*●Hide nothing* from her. You are now one and she’s your soulmate. Let there be no secret you are keeping from her.

*●Do not make* negative comment about her body. She risked her life and beauty to carry your babies. She is a living soul not just flesh and blood.

*●Do not let* her body determine her worth. Cherish and appreciate her even till old age.

*●Never shout* at her in the public and in private. If you have an issue to sort with her, do it in the privacy of your room.

*●Thank and appreciate* her for taking good care of you, the kids and the house. It is a great sacrifice she is making.

*●All women* cannot cook the same way; appreciate your wife’s food. It is not easy to cook three meals a day, 365 days a year for several years.

*●Never place* your siblings before her. She is your wife. She is one with you. She must come before your family.

*●Make time* to play with her and enjoy her company. Remember when you are dead, she’s gonna be by your grave but your friends may be too busy to attend your funeral.

*●Never use* money to manipulate or control her. All your money belongs to her. She is a joint heir with you of the grace of God.

*●Do not* expose her weakness. You will be exposing yourself too. Be a shield around her.

*●Honour* her parents and be kind to her siblings.

*●Never cease* to tell her how much you love her all the days of her life. Women are never tired of hearing that.

To all loving husbands...!!!

*_SAVE A HOME TODAY, PASS IT ON_*

एक अच्छा प्रबंधक

पत्नी – रात का खाना आज बाहर करेगें।

पति  – ठीक है … हम किसी साधारण रेस्तरां में चलते हैं.
पत्नी – नहीं, रॉयल पैलेस होटल में चलते हैं.

पति – (एक मिनट के लिए मौन)  ठीक है, 07:00 बजे चलते हैं.

ठीक सात बजे पति-पत्नी अपनी कार में घर से निकले. रास्ते में –

पति – जानती हो एक बार मैंने अपनी बहन के साथ पानीपूरी प्रतिस्पर्धा की थी. मैंने 30 पानी पूरी खाई और उसे हरा दिया.

पत्नी – क्या यह इतना मुश्किल है?
पति – मुझे पानी-पूरी प्रतियोगिता में परास्त करना बहुत मुश्किल है।

पत्नी – मैं आसानी से आपको हरा सकती हूँ।
पति – रहने दो ये तुम्हारे बस का नहीं ….

पत्नी – हमसे प्रतियोगिता करने चलिये….
पति – तो आप अपने आप को हारा हुआ देखना चाहती हैं?

पत्नी – चलिये देखते हैं…

वे दोनों एक पानी-पूरी स्टॉल पर रुके और खाना शुरू कर दिए ….

25 पानी पूरी के बाद पति ने खाना छोड़ दिया.

पत्नी का भी पेट भर गया था, लेकिन उसने पति को हराने के लिए एक और खा लिया और चिल्लाई , “तुम हार गये।”

बिल 50 रुपये आया …. और पत्नी वापस घर आते हुए शर्त जीतने की खुशी में खुश थी.

कहानी से नैतिक शिक्षा …

“एक प्रबंधक का मुख्य उद्देश्य न्यूनतम निवेश के साथ कर्मचारी को संतुष्ट करना होता है….  कम निवेश पर मजबूत वापसी सुनिश्चित!”

Brain draining habits

*7 Biggest brain damaging habits*

1: Missing breakfast
2: Sleeping late
3: High sugar consumption
4: More sleeping specially at morning
5: Eating meal while watching TV or computer
6: Wearing Cap/scarf or socks while sleeping
7: Habit of blocking/Stoping Urine

*Don't Just Read*
*Forward to whom you care*
*As I care for U*

Monday 24 October 2016

Man O' Man.....

Don't know who wrote this.. Hats off to him

Man O Man!
When without money,
eats vegetables at home;
When has money,
eats the same vegetables in a fine restaurant.
.
When without money, rides bicycle;
When has money rides the same ‘exercise machine’.
.
When without money walks to earn food
When has money, walks to burn fat;

Man O Man! Never fails to deceive thyself!
.
When without money,
wishes to get married;
When has money,
wishes to get divorced.
.
When without money,
wife becomes secretary;
When has money,
secretary becomes wife.
.
When without money, acts like a rich man;
When has money acts like a poor man.
Man O Man! Never can tell the simple truth!
.
Says share market is bad,
but keeps speculating;
Says money is evil,
but keeps accumulating.
.
Says high Positions are lonely,
but keeps wanting them.
.
Says gambling & drinking is bad,
but keeps indulging;

Man O Man! Never means what he says and never says what he means..

"I failed in 8th standard"
-Sachin Tendulkar

"During my secondary
school, I was dropped
from school basketball
team"
-MichelI Jordan

"I was rejected for the
job in All India Radio
bcoz of my heavy voice"
- Amitabh Bacchan

"I used to work in petrol
Bunks"
- Dhirubhai Ambani

"I was rejected in the
interview of Pilot"
- Abdul Kalam

"I didn't even complete
my university education"
- Bill Gates

"I used to serve tea at
a shop to support my
football training"
- Lionel Messi

"I used to sleep on the
floor in friends rooms,
returning Coke bottles
for food, money, and
getting weekly free
meals at a local temple"
-Steve Jobs

"My teachers used to
call me a failure"
- Tony Blair

"Friends, there are
many such people who
struggled..

Life is not about what
you couldn't do so far,
it's about what you can
still do.
Wait n dont ever give up..
Miracles happen every
day....
                             
Rs.20 seems too much
to give a beggar but it
seems okay when its
given as tip at a fancy
restaurant.

After a whole day of
work, Hours at the gym
seem alright but helping
your Mother out at home
seems like a burden.

Praying to god for 3 min
takes too much time but
watching a movie for 3
hours doesn't.

Wait a whole year for
Valentine's day but we
always forget Mother's
day.

Two poor starving kids
sitting on the pavement
weren't given even a slice
of Bread but a painting of
them sold for lakhs of
Rupees.

We don't think twice
About forwarding jokes
But we will rethink about
sending this message on.

Think about It..
Make a change. Coz u can ....

Give a smile to someone.
Each time u gift a smile, it will make someone's day.....

मन का दर्पण

मन का दर्पण ...
******
एक गुरुकुल के आचार्य अपने शिष्य की सेवा से बहुत प्रभावित हुए । विद्या पूरी होने के बाद जब शिष्य विदा होने लगा तो गुरू ने उसे आशीर्वाद के रूप में एक दर्पण दिया।
वह साधारण दर्पण नहीं था । उस दिव्य दर्पण में किसी भी व्यक्ति के मन के भाव को दर्शाने की क्षमता थी।
शिष्य, गुरू के इस आशीर्वाद से बड़ा प्रसन्न था । उसने सोचा कि चलने से पहले क्यों न दर्पण की क्षमता की जांच कर ली जाए।
परीक्षा लेने की जल्दबाजी में उसने दर्पण का मुंह सबसे पहले गुरुजी के सामने कर दिया।
शिष्य को तो सदमा लग गया। दर्पण यह दर्शा रहा था कि गुरुजी के हृदय में मोह, अहंकार, क्रोध आदि दुर्गुण स्पष्ट नजर आ रहे है।
मेरे आदर्श, मेरे गुरूजी इतने अवगुणों से भरे है ! यह सोचकर वह बहुत दुखी हुआ. दुखी मन से वह दर्पण लेकर गुरुकुल से रवाना तो हो गया लेकिन रास्ते भर मन में एक ही बात चलती रही. जिन गुरुजी को समस्त दुर्गुणों से रहित एक आदर्श पुरूष समझता था लेकिन दर्पण ने तो कुछ और ही बता दिया।
उसके हाथ में दूसरों को परखने का यंत्र आ गया था । इसलिए उसे जो मिलता उसकी परीक्षा ले लेता ।
उसने अपने कई इष्ट मित्रों तथा अन्य परिचितों के सामने दर्पण रखकर उनकी परीक्षा ली । सब के हृदय में कोई न कोई दुर्गुण अवश्य दिखाई दिया ।
जो भी अनुभव रहा सब दुखी करने वाला वह सोचता जा रहा था कि संसार में सब इतने बुरे क्यों हो गए है । सब दोहरी मानसिकता वाले लोग है । जो दिखते हैं दरअसल वे हैं नहीं । इन्हीं निराशा से भरे विचारों में डूबा दुखी मन से वह किसी तरह घर तक पहुंच गया ।
उसे अपने माता-पिता का ध्यान आया । उसके पिता की तो समाज में बड़ी प्रतिष्ठा है । उसकी माता को तो लोग साक्षात देवतुल्य ही कहते है । इनकी परीक्षा की जाए ।
उसने उस दर्पण से माता-पिता की भी परीक्षा कर ली । उनके हृदय में भी कोई न कोई दुर्गुण देखा । ये भी दुर्गुणों से पूरी तरह मुक्त नहीं है । संसार सारा मिथ्या पर चल रहा है ।अब उस बालक के मन की बेचैनी सहन के बाहर हो चुकी थी ।
उसने दर्पण उठाया और चल दिया गुरुकुल की ओर । शीघ्रता से पहुंचा और सीधा जाकर अपने गुरूजी के सामने खड़ा हो गया । गुरुजी उसके मन की बेचैनी देखकर सारी बात का अंदाजा लगा चुके थे ।
चेले ने गुरुजी से विनम्रतापूर्वक कहा- गुरुदेव, मैंने आपके दिए दर्पण की मदद से देखा कि सबके दिलों में तरह-तरह के दोष है । कोई भी दोषरहित सज्जन मुझे अभी तक क्यों नहीं दिखा? क्षमा के साथ कहता हूं कि स्वयं आपमें और अपने माता-पिता में मैंने दोषों का भंडार देखा । इससे मेरा मन बड़ा व्याकुल है ।
तब गुरुजी हंसे और उन्होंने दर्पण का रुख शिष्य की ओर कर दिया । शिष्य दंग रह गया । उसके मन के प्रत्येक कोने में राग-द्वेष, अहंकार, क्रोध जैसे दुर्गुण भरे पड़े थे । ऐसा कोई कोना ही न था जो निर्मल हो ।
गुरुजी बोले- बेटा यह दर्पण मैंने तुम्हें अपने दुर्गुण देखकर जीवन में सुधार लाने के लिए दिया था न कि दूसरों के दुर्गुण खोजने के लिए ।जितना समय तुमने दूसरों के दुर्गुण देखने में लगाया उतना समय यदि तुमने स्वयं को सुधारने में लगाया होता तो अब तक तुम्हारा व्यक्तित्व बदल चुका होता ।
मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वह दूसरों के दुर्गुण जानने में ज्यादा रुचि रखता है । स्वयं को सुधारने के बारे में नहीं सोचता । इस दर्पण की यही सीख है जो तुम नहीं समझ सके।
यदि हम स्वयं में थोड़ा-थोड़ा करके सुधार करने लगें तो हमारा व्यक्तित्व परिवर्तित हो जाएगा ।
जरा शांति से सोचिएगा कि आप क्या करते जा रहे है ।

Sunday 23 October 2016

दही की कीमत

*दही का इन्तजाम*

गुप्ता जी जब लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। लोगों ने दूसरी शादी की सलाह दी परन्तु गुप्ता जी ने यह कहकर मना कर दिया कि पुत्र के रूप में पत्नी की दी हुई भेंट मेरे पास हैं, इसी के साथ पूरी जिन्दगी अच्छे से कट जाएगी।

पुत्र जब वयस्क हुआ तो गुप्ता जी ने पूरा कारोबार पुत्र के हवाले कर दिया। स्वयं कभी मंदिर और आॅफिस में बैठकर समय व्यतीत करने लगे।

पुत्र की शादी के बाद गुप्ता जी और अधिक निश्चित हो गये। पूरा घर बहू को सुपुर्द कर दिया।

पुत्र की शादी के लगभग एक वर्ष बाद दुपहरी में गुप्ता जी खाना खा रहे थे, पुत्र भी ऑफिस से आ गया था और हाथ–मुँह धोकर खाना खाने की तैयारी कर रहा था।

उसने सुना कि पिता जी ने बहू से खाने के साथ दही माँगा और बहू ने जवाब दिया कि आज घर में दही उपलब्ध नहीं है। खाना खाकर पिताजी ऑफिस चले गये।

पुत्र अपनी पत्नी के साथ खाना खाने बैठा। खाने में प्याला भरा हुआ दही भी था। पुत्र ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और खाना खाकर स्वयं भी ऑफिस चला गया।

लगभग दस दिन बाद पुत्र ने गुप्ता जी से कहा- ‘‘ पापा आज आपको कोर्ट चलना है,आज आपका विवाह होने जा रहा है।’’

पिता ने आश्चर्य से पुत्र की तरफ देखा और कहा-‘‘बेटा मुझे पत्नी की आवश्यकता नही है और मैं तुझे इतना स्नेह देता हूँ कि शायद तुझे भी माँ की जरूरत नहीं है, फिर दूसरा विवाह क्यों?’’

पुत्र ने कहा ‘‘ पिता जी, न तो मै अपने लिए माँ ला रहा हूँ न आपके लिए पत्नी,
मैं तो केवल आपके लिये दही का इन्तजाम कर रहा हूँ।

कल से मै किराए के मकान मे आपकी बहू के साथ रहूँगा तथा ऑफिस मे एक कर्मचारी की तरह वेतन लूँगा ताकि आपकी बहू को दही की कीमत का पता चले।’’

Understand the problem before solving it.

One fine day, a bus driver went to the bus garage, started his bus, and drove off along the route.

No problems for the first few stops-a few people got on, a few got off, and things went generally well.

At the next stop, however, a big hulk of a guy got on. 
Six feet height, built like a wrestler, arms hanging down to the ground. 
He glared at the driver and said, "Big John doesn't need to pay!" and sat down at the back.

Did I mention that the driver was five feet three, thin, and basically meek? Well, he was.!

Naturally, he didn't argue with Big John, but he wasn't happy about it.

The next day the same thing happened-Big John got on again, made a show of refusing to pay, and sat down. 
And the next day, and the one after that and so forth.!

This grated on the bus driver, who started losing sleep over the way Big John was taking advantage of him.

Finally he could stand it no longer. 
He signed up for body building courses, karate, judo, and all that good stuff.

By the end of the summer, he had become quite strong; what's more, he felt really good about himself.

So on the next Monday, when Big John once Again got on the bus and said, "Big John doesn't pay!," The driver stood up, glared back at the passenger, and screamed, "And why not?"

With a surprised look on his face, Big John replied, *"Big John has a bus pass."*

Be sure of what is a problem in the first place before working hard to solve one.

*Quite often in life we over-evaluate the problems and start working on huge solutions spending time, money, efforts, energy and focus, whereas, in actual, problems eventually are not that big!*

Most of Our life is actually as above story !

Thursday 20 October 2016

पुरुष से पिता बनने का सफर

पत्नी जब स्वयं माँ बनने का समाचार सुनाये और वो खबर सुन, आँखों में से खुशी के आँशु टप टप गिरने लगे

तब ... आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है"

नर्स द्वारा कपडे में लिपटा कुछ पाउण्ड का दिया जीव, जवाबदारी का प्रचण्ड बोझ का अहसास कराये

तब .....आदमी.....

" पुरुष से पिता बनता है"

रात - आधी रात, जागकर पत्नी के साथ, बेबी का डायपर बदलता है, और बच्चे को कमर में उठा कर घूमता है, उसे चुप कराता है, पत्नी को कहता है तू सो जा में इसे सुला दूँगा

तब..........आदमी......

" पुरुष से, पिता बनता हैं "

मित्रों के साथ घूमना, पार्टी करना जब नीरस लगने लगे और पैर घर की तरफ बरबस दौड़ लगाये

तब ........आदमी......

"पुरुष से पिता बनता हैं"

"हमने कभी लाईन में खड़ा होना नहीं सिखा " कह, हमेशा ब्लैक में टिकट लेने वाला, बच्चे के स्कूल Admission का फॉर्म लेने हेतु पूरी ईमानदारी से सुबह 4 बज लाईन में खड़ा होने लगे

तब .....आदमी....

" पुरुष से पिता बनता हैं "

जिसे सुबह उठाते साक्षात कुम्भकरण की याद आती हो और वो जब रात को बार बार उठ कर ये देखने लगे की मेरा हाथ या पैर कही बच्चे के ऊपर तो नहीं आ गया एवम् सोने में पूरी सावधानी रखने लगे

तब .....आदमी...

" पुरुष से पिता बनता हैं"

असलियत में एक ही थप्पड़ से सामने वाले को चारो खाने चित करने वाला, जब बच्चे के साथ झूठ मूठ की fighting में बच्चे की नाजुक थप्पड़ से जमीन पर गिरने लगे

तब...... आदमी......

" पुरुष से पिता बनता हैं"

खुद भले ही कम पढ़ा या अनपढ़ हो, काम से घर आकर बच्चों को " पढ़ाई बराबर करना, होमवर्क पूरा किया या नहीं" बड़ी ही गंभीरता से कहे

तब ....आदमी......

" पुरुष से पिता बनता हैं "

खुद ही की कल की मेहनत पर ऐश करने वाला, अचानक बच्चों के आने वाले कल के लिए आज compromise करने लगे

तब ....आदमी.....

" पुरुष से पिता बनता हैं "

ओफ़ीस का बॉस, कईयों को आदेश देने वाला, स्कूल की पेरेंट्स मीटिंग में क्लास टीचर के सामने डरा सहमा सा, कान में तेल डाला हो ऐसे उनकी हर INSTRUCTION ध्यान से सुनने लगे

तब ....आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है"

खुद की पदोन्नति से भी ज्यादा बच्चे की स्कूल की सादी यूनिट टेस्ट की ज्यादा चिंता करने लगे

तब ....आदमी.......

" पुरुष से पिता बनता है "

खुद के जन्मदिन का उत्साह से ज्यादा बच्चों के Birthday पार्टी की तैयारी में मग्न रहे

तब .... आदमी.......

" पुरुष से पिता बनाता है "

हमेशा अच्छी अच्छी गाडियो में घुमाने वाला, जब बच्चे की सायकल की सीट पकड़ कर उसके पीछे भागने में खुश होने लगे

तब ......आदमी....

" पुरुष से पिता बनता है"

खुदने देखी दुनिया, और खुद ने की अगणित भूले बच्चे ना करे, इसलिये उन्हें टोकने की शुरुआत करे

तब .....आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है"

बच्चों को कॉलेज में प्रवेश के लिए, किसी भी तरह पैसे ला कर अथवा वर्चस्व वाले व्यक्ति के सामने दोनों haath जोड़े

तब .......आदमी.......

" पुरुष से पिता बनता है "

"आपका समय अलग था,
अब ज़माना बदल गया है,
आपको कुछ मालूम नहीं"
" This is generation gap "

ये शब्द खुद ने कभी बोला ये याद आये और मन ही मन बाबूजी को याद कर माफी माँगने लगे

तब ....आदमी........

" पुरुष से पिता बनता है "

लड़का बाहर चला जाएगा, लड़की ससुराल, ये खबर होने के बावजूद, उनके लिए सतत प्रयत्नशील रहे

तब ...आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है "

बच्चों को बड़ा करते करते कब बुढापा आ गया, इस पर ध्यान ही नहीं जाता, और जब ध्यान आता है तब उसका कोइ अर्थ नहीं रहता

तब ......आदमी.......

" पुरुष से पिता बनता है"
dedicated to all Fathers :) :)

Wednesday 19 October 2016

लक्ष्मी जी का निवास कहाँ?

लक्ष्मीजी कहाँ रहती हैं ?

एक बूढे सेठ थे । वे खानदानी रईस थे, धन-ऐश्वर्य प्रचुर मात्रा में था परंतु लक्ष्मीजी का तो है चंचल स्वभाव । आज यहाँ तो कल वहाँ!!

सेठ ने एक रात को स्वप्न में देखा कि एक स्त्री उनके घर के दरवाजे से निकलकर बाहर जा रही है।

उन्होंने पूछा : ‘‘हे देवी आप कौन हैं ? मेरे घर में आप कब आयीं और मेरा घर छोडकर आप क्यों और कहाँ जा रही हैं?

वह स्त्री बोली : ‘‘मैं तुम्हारे घर की वैभव लक्ष्मी हूँ । कई पीढयों से मैं यहाँ निवास कर रही हूँ किन्तु अब मेरा समय यहाँ पर समाप्त हो गया है इसलिए मैं यह घर छोडकर जा रही हूँ । मैं तुम पर अत्यंत प्रसन्न हूँ क्योंकि जितना समय मैं तुम्हारे पास रही, तुमने मेरा सदुपयोग किया । संतों को घर पर आमंत्रित करके उनकी सेवा की, गरीबों को भोजन कराया, धर्मार्थ कुएँ-तालाब बनवाये, गौशाला व प्याऊ बनवायी । तुमने लोक-कल्याण के कई कार्य किये । अब जाते समय मैं तुम्हें वरदान देना चाहती हूँ । जो चाहे मुझसे माँग लो ।

सेठ ने कहा : ‘‘मेरी चार बहुएँ है, मैं उनसे सलाह-मशवरा करके आपको बताऊँगा । आप कृपया कल रात को पधारें ।

सेठ ने चारों बहुओं की सलाह ली ।

उनमें से एक ने अन्न के गोदाम तो दूसरी ने सोने-चाँदी से तिजोरियाँ भरवाने के लिए कहा ।

किन्तु सबसे छोटी बहू धार्मिक कुटुंब से आयी थी। बचपन से ही सत्संग में जाया करती थी ।

उसने कहा : ‘‘पिताजी ! लक्ष्मीजी को जाना है तो जायेंगी ही और जो भी वस्तुएँ हम उनसे माँगेंगे वे भी सदा नहीं टिकेंगी । यदि सोने-चाँदी, रुपये-पैसों के ढेर माँगेगें तो हमारी आनेवाली पीढी के बच्चे अहंकार और आलस में अपना जीवन बिगाड देंगे। इसलिए आप लक्ष्मीजी से कहना कि वे जाना चाहती हैं तो अवश्य जायें किन्तु हमें यह वरदान दें कि हमारे घर में सज्जनों की सेवा-पूजा, हरि-कथा सदा होती रहे तथा हमारे परिवार के सदस्यों में आपसी प्रेम बना रहे क्योंकि परिवार में प्रेम होगा तो विपत्ति के दिन भी आसानी से कट जायेंगे।

दूसरे दिन रात को लक्ष्मीजी ने स्वप्न में आकर सेठ से पूछा : ‘‘तुमने अपनी बहुओं से सलाह-मशवरा कर लिया? क्या चाहिए तुम्हें ?

सेठ ने कहा : ‘‘हे माँ लक्ष्मी ! आपको जाना है तो प्रसन्नता से जाइये परंतु मुझे यह वरदान दीजिये कि मेरे घर में हरि-कथा तथा संतो की सेवा होती रहे तथा परिवार के सदस्यों में परस्पर प्रेम बना रहे।

यह सुनकर लक्ष्मीजी चौंक गयीं और बोलीं : ‘‘यह तुमने क्या माँग लिया। जिस घर में हरि-कथा और संतो की सेवा होती हो तथा परिवार के सदस्यों में परस्पर प्रीति रहे वहाँ तो साक्षात् नारायण का निवास होता है और जहाँ नारायण रहते हैं वहाँ मैं तो उनके चरण पलोटती (दबाती)हूँ और मैं चाहकर भी उस घर को छोडकर नहीं जा सकती। यह वरदान माँगकर तुमने मुझे यहाँ रहने के लिए विवश कर दिया है.!
कथानक कैसा लगा? यदि आपके मन को छुआ हो तो आगे भेजें।

Tuesday 18 October 2016

Expectations of a Doctor

*Hats off to the Doctor who wrote this* :----------------

My *expectations* from my *_patients_* and *_relatives_*.

■ Please bring your *old medical records* but *don't bring* your *_opinion_* about your old doctor. I am *no better* than him.

■ Wait *patiently* in the *_queue_*.

■ My phone is for *emergency*

■ If you want, Please do *wish* me when u meet me in a marriage or birthday party or a hotel but *don't* discuss your health problems there also.

■ Dont *praise* me that I saved you, because I didn't do anything *extra*
it's my *_duty_* *to treat* it is *God* who heals but when there is a *complication* please *understand* it's also *_his wish_*. many complications, adverse effects of drugs are *not* my work it's sometimes *your own body* which responds in a *_peculiar_* way.

■ If you are *not happy* with my work, *go away* to my *brother* or *sister* colleague don't just *waste* your time.

■ If you feel I am *negligent* complain to *statutory bodies* like *medical council* or *consumer courts* or *courts*
*_don't_* *defame* me on *Facebook* or *WhatsApp* or *mainstream media*

■ Take my advice ,
*don't read _internet_* and *decide* about your *treatment*. I *don't* repair my computer seeing instructions on internet so also you *can't* get treatment on *Google*.

■ Come *prepared* with your complaints. I am happy if you *write and bring* especially *_points_* and I can answer your points *well*.

■ *Don't answer your mobile* in *my cabin*
keep it on *SILENT mode* and *LISTEN to* me.

I end acknowledging that I am called a *_Doctor_ only because of you* and when you are in my cabin you are only my *"patient "* but *not* an *officer* or *minister* or *media man* or *teacher*
and in the end I *remind* you that I too am a *_human being_* like you.

*Thank you*...

करवा चौथ

(1).
करवा चौथ तो बहाना है,
असली मकसद तो पति को याद दिलाना है...

कि कोई है जो उसके इंतजार में
दरवाजे पर टकटकी लगाए रहती है,

पति के इंतज़ार में
सदा आँखें बिछाए रहती है...

वैलेंटाईन ड़े, रोज़ ड़े
इन सब को वो समझ नहीं पाती है....

प्यार करती है दिल की गहराईयों से,
पर कह नहीं पाती है....

सुबह से भूखी है,
उसका गला भी सूखा जाता है....

इस पर उसका कोई ज़ोर नहीं,
उसे प्यार जताने का
बस यही तरीका आता है....

खुलेआम किस करना हमारी संस्कृति में नहीं,
'आई लव यू' कहने में वो शर्माती है....

वो चाहती है बहुत कुछ कहना,
पर 'जल्दी घर आ जाना'
बस यही कह पाती है....

फेसबुक, ट्वीटर से मतलब नहीं उसे,
ना फोन पे व्हाट्सएप्प चलाना आता है....

यूँ तो कोई जिद नहीं करती,
पर प्यार से रूठ जाना आता है...

यूँ तो दिल मचलता है हमारा भी,
देख कर हुस्न की बहार...

याद रहता है हर पल, उसका समर्पण,
और हमारे परिवार पर लुटाया हुआ प्यार....

ऐसी प्रिया को,
है सम्मान का, प्यार का अधिकार |।।

(2).
*जीवनसाथी*
तुमसे रुठ भी जाऊं मेरे प्रिय,
तुम्हारे लौटने का इंतज़ार होता है।
तैरती खामोशियो के मंजर पर,
"सुनो तो" का असर हर बार होता है।
शिकवे अपनी जगह इस रिश्ते में,
मुस्कुराना ही मनुहार होता है।
संग न महज आसां राहों का मगर,
दुःखों पर भी मेरा अधिकार होता है।
मन की गिरह जब जब खुले,
नयी शुरुआत जैसे त्यौहार होता है।
व्रत ,पूजन सब तुम्हारी खातिर,
चाँद से सजदा मेरा हर बार होता है।
ये कैसा रिश्ता सात फेरो में बंधा,
शिकायत जिनसे उन्ही से प्यार होता है।
(करवाचौथ की अग्रिम शुभकामनाये और बधाइयां  )

Monday 17 October 2016

Basic Banking codes

Excellent service by RBI!!
Dial  * 99# to do basic Banking instantly. One can check balance for accounts, mini statement where the mobile number is registered & no internet required. Below are the direct codes for banks::
* 99* 41#-State Bank of India
* 99* 42#- Punjab National Bank
* 99* 43#-HDFC Bank
* 99* 44#-ICICI Bank
* 99* 45#-AXIS Bank
* 99* 46#-Canara Bank
* 99* 47#- Bank Of India
* 99* 48#-Bank of Baroda
* 99* 49#-IDBI Bank
* 99* 50#-Union Bank of India
* 99* 51#-Central Bank of India
* 99* 52#-India Overseas Bank
* 99* 53#-Oriental Bank of Commerce
* 99* 54#-Allahabad Bank
* 99* 55#-Syndicate Bank
* 99* 56#-UCO Bank
* 99* 57#-Corporation Bank
* 99* 58#- Indian Bank
* 99* 59#-Andhra Bank
* 99* 60#- State Bank Of Hyderabad
* 99* 61#- Bank of Maharashtra
* 99* 62#- State Bank of Patiala
* 99* 63#- United Bank of India
* 99* 64#-Vijaya Bank
* 99* 65#-Dena Bank
* 99* 66#-Yes Bank
* 99* 67#-State Bank of Travancore
* 99* 68#-Kotak Mahindra Bank
* 99* 69#-IndusInd Bank
* 99* 70#- State Bank of Bikaner and Jaipur
* 99* 71#- Punjab and Sind Bank
* 99* 72#-Federal Bank
* 99* 73#-State Bank of Mysore
* 99* 74#-South Indian Bank
* 99* 75#-Karur Vysya Bank
* 99* 76#-Karnataka Bank
* 99* 77#-Tamilnad Mercantile Bank
* 99* 78#-DCB Bank
* 99* 79#- Ratnakar Bank
* 99* 80#-Nainital Bank
* 99* 81#-Janata Sahakari Bank
* 99* 82#-Mehsana Urban Co-Operative Bank
* 99* 83#-NKGSB Bank
* 99* 84#-Saraswat Bank
* 99* 85#-Apna Sahakari Bank
* 99* 86#-Bhartiya Mahila Bank
* 99* 87#- Abhyudaya Co-Operative Bank
* 99* 88#-Punjab & Maharashtra Co-operative Bank
* 99* 89#-Hasti Co-Operative Bank
* 99* 90#- Gujarat State Co-Operative Bank
* 99* 91#- Kalupur Commercial Co-Operative Bank

Also u can dial * 99* 99# to know your Aadhaar linking and OverDraft Status. Try it.

नमक और वास्तु

✔✔दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देता है एक चुटकी नमक➖

वास्तुशास्त्र में नमक को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। नमक के अलग-अलग इस्तेमाल से घर से नकारात्मक ऊर्जा निकल जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मानसिक शांति, सेहत, सुख-समृद्धि और पैसे के मामले में नमक की भूमिका अहम है। वास्तु के अनुसार यदि नमक का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए, तो एक चुटकी नमक ही काफी है दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए...।

➖एक चुटकी नमक का कमाल...

यदि आप आए दिन बीमार रहते हैं। घर में परिवार के सदस्यों के बीच आए दिन झगड़े होते हैं। हर तरफ  नकारात्मकता नजर आती है, तो नमक वाले पानी से पूरे घर में पोंछा लगाएं। बस पोंछे वाले पानी में एक चुटकी काला नमक मिलाएं, फिर देखें इसका कमाल। कुछ दिनों में इसका असर देखने को मिल जाएगा। यदि हर दिन संभव ने हो, तो मंगलवार को जरूर नमक को पोंछा लगाएं। इस उपाय से न सिर्फ घर की नकारात्मकता दूर होगी, घर में सकारात्मक एनर्जी आएगी। परिवार के सदस्य बीमार भी नहीं पड़ते हैं। सौभाग्य के दरवाजे खुलेंगे।

➖किसमें रखें नमक...➖

आप जरा अपने घर में यह देखिए कि जिस बर्तन में नमक रखा जा रहा है, वह किस चीज से बना है। स्टील यानी लोहे से बने बर्तन में नमक कभी नहीं रखना चाहिए। वास्तु में ऐसी मान्यता है कि नमक को हमेशा कांच के जार में भरकर रखना चाहिए। साथ ही इसमें एक लौंग डाल दें, तो फिर सोने पे सुहागा... इससे घर में सुख-समृद्धि तो रहती ही है। पैसों की भी कभी कमी महसूस नहीं होती। धन का फ्लो बना रहता है।

➖नमक मानसिक शांति भी देता है...➖

यदि आपका मन हर बेचैन रहता है। न तो घर में मन लगता, न बाहर, ना ही ऑफिस में...आप लाख कोशिश करते हैं, फिर मानसिक शांति नहीं मिल रही होती है। ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए नमक का उपाय रामबाण का काम करता है। इस उपाय में भी एक चुटकी नमक कमाल करता है। जी हां, नहाते समय समय पानी में एक चुटकी नमक मिला लें और उससे स्नान करें। वास्तु विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसा करने से मानसिक बेचैनी कम हो जाती है। तन-मन हमेशा तरोताजा रहता है। आलस्य से छुटकारा मिल जाता है।

➖डॉक्टर है नमक...

यदि घर में कोई लंबे समय से बीमार चल रहा हो, तो उसके बिस्तर के पास कांच की बोतल में नमक भरकर रखें और हर महीने इसे बदल दें। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, ऐसा करने से बीमार व्यक्ति की सेहत में काफी सुधार आ सकता है। यह उपाय तब तक करते रहें, जब तक वह व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ ने हो जाए।

➖पहाड़ी नमक का कमाल...➖

कौन व्यक्ति नहीं चाहेगा कि उसके घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहे, लेकिन हम देखते हैं कि व्यक्ति हर तरह से सम्पन्न होता है, लेकिन बावजूद इसके उसके घर में सुख आ अभाव रहता है। शांति भंग हो जाती है। असल में वास्तुदोष होने से घर में नकारात्मकता प्रवेश होता है और व्यक्ति परेशान रहता है। इससे छुटकारा पाने के लिए या वास्तुदोष खत्म करने के लिए इसमें एक नमक का उपाय बहुत कारगर साबित हो सकता है। बाजार में पहाड़ी नमक भी मिलता है। इसे लाकर अपने घर के एक कोने में रख दें। आप कुछ ही में महसूस करेंगे कि घर की सारी नकारात्मकत एनर्जी दूर हो जाएगी। परिवार के लोग खुश रहने लगेंगे। घर में सुख-शांति फैल जाएगी।

➖नमक को लेकर ये दो सावधानियां...➖

प्राचीन मान्यता है कि यदि आप नमक सीधे किसी के हथेली में रखकर देते हैं, तो इससे उस व्यक्ति के साथ आपका झगड़ा हो सकता है। इसलिए इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि नमक कभी किसी को हाथ में न दें, बल्कि चम्मच से बर्तन के जरिए दें। इसके अलावा नमक को कभी जमीन में न गिरने दें। नमक को कभी बेकार भी मत होने दें। वास्तु के अनुसार, यदि नमक जमीन पर सीधे गिरता है, तो यह मान लें कि आप सीधे अपने दुर्भाग्य को दावत दे रहे हैं।