Tuesday 30 December 2014

अब आवासीय जमीन पर खोल सकेंगे स्कूल और अस्पताल

बड़ा फैसला: अब आवासीय जमीन पर खोल सकेंगे स्कूल और अस्पताल
Dainikbhaskar.com | Dec 30, 2014, 09:44:00 AM IST
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जयपुर. शहरी क्षेत्रों में अब बिना लैंड यूज चेंज कराए आवासीय जमीन पर स्कूल या अस्पताल खोले जा सकेंगे। अभी इसके लिए आवासीय का संस्थानिक में लैंड यूज चेंज कराना अनिवार्य है। यह फैसला राज्य सरकार द्वारा गठित स्वायत्त शासन विभाग की स्टेट लेवल लैंड यूज चेंज कमेटी की पहली बैठक में सोमवार को लिया गया। कमेटी ने स्कूल और अस्पताल को आबादी के लिए परमिशेबल एक्टिविटी  मानते हुए यह बड़ा फैसला किया है। कमेटी का तर्क है कि आवासीय आबादी में स्कूल-अस्पताल आदि खोलते वक्त भू उपयोग परिवर्तन कराने के लिए छह माह से एक साल तक लोग निकायों के चक्कर काटते रहते हैं। निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन और प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए यह छूट दी गई है। अब आवासीय जमीन पर ही स्कूल और अस्पताल के नक्शे पास किए जा सकेंगे।  कमेटी की अध्यक्षता स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख सचिव मनजीतसिंह ने की।

40 फीट से चौड़ी सड़क होना जरूरी

स्टेट कमेटी के फैसले के बाद अब आवासीय क्षेत्र में स्कूल-अस्पताल खोलने के लिए मास्टर प्लान में निर्धारित साइज का भूखंड आवेदक के पास होना चाहिए। इसके अलावा भूखंड के आगे 40 फीट से चौड़ी रोड आवश्यक रखी गई है। इसके अलावा कोई बाध्यता नहीं रहेगी। 

शहरी मास्टर प्लान में आ रहे गांवों में भी लैंड यूज जरूरी नहीं

वरिष्ठ नगर नियोजक आरके विजयवर्गीय के अनुसार स्टेट कमेटी ने शहरी मास्टर प्लान में शामिल किए गांवों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए भी बड़ा फैसला किया है। अब मास्टर प्लान में आ रहे गांवों की 500 मीटर की परिधि में स्कूल या अस्पताल खोलने के लिए कृषि का अकृषि या आवासीय का संस्थानिक में भू उपयोग परिवर्तन नहीं कराना पड़ेगा।

2 साल बाद बैठक, 55 केसों की सुनवाई

शहरी निकायों में लैंड यूज चेंज से जुडे़ केसों के निबटारे के लिए 2 साल बाद बैठक हुई। कमेटी ने 55 में से 40 प्रकरणों का निस्तारण कर मंजूरी दे दी। 8 प्रकरण अगली बैठक के लिए रैफर किए, 4 को तकनीकी कारणों से अस्वीकृत किया। इनको अंतिम मंजूरी के लिए नगरीय विकास मंत्री राजपालसिंह शेखावत के पास भेज दिया। कमेटी ने आवासीय, औद्योगिक,  शैक्षणिक, होटल, व्यावसायिक प्रयोजनार्थ भू उपयोग परिवर्तन के तहत स्वीकृत किए प्रकरणों में एलईडी लाइट लगाना अनिवार्य किया।

एक और अध्यादेश, भूमि अधिग्रहण कानून बदला

रक्षा, सस्ते घर, बिजली, सड़क जैसे प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण करना अब आसान हो जाएगा। इसके लिए भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। ये बदलाव अध्यादेश के जरिए जारी होंगे। एक अनुमान के मुताबिक अधिग्रहण की अड़चनों के कारण सड़क, रेल, स्टील और खनन समेत विभिन्न सेक्टर की 20 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं रुकी हुई हैं।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में 13 प्रावधान ऐसे थे जो उद्योग के खिलाफ थे। इसीलिए एक साल के भीतर इस कानून में बदलाव की जरूरत पड़ी। उन्होंने कहा कि संशोधन में औद्योगिक विकास और किसान हितों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। मुश्किल प्रावधानों को आसान किया गया है तो किसानों के मुआवजे का भी ख्याल रखा गया है।

इन प्रोजेक्ट के लिए 80 फीसदी लोगों की सहमति अब जरूरी नहीं

-राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा उत्पादन
-ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर (बिजली, सड़क आदि)
-सस्ते आवास, गरीबों के लिए घर
-इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
-सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर और इन्फ्रास्ट्रक्चर के पीपीपी प्रोजेक्ट। जमीन का मालिकाना हक सरकार के पास रहेगा।

इन प्रोजेक्ट के लिए सामाजिक और खाद्य सुरक्षा प्रभाव के अध्ययन की भी जरूरत नहीं होगी। प्रभावित लोगों को पुनर्वास का पैकेज भी मिलता रहेगा।

2013 के कानून में क्या था : पीपीपी प्रोजेक्ट के लिए 70 फीसदी और निजी कंपनियों के लिए 80 फीसदी लोगों की सहमति जरूरी थी। इसमें किसी सेक्टर विशेष को छूट नहीं दी गई थी। सोशल इंपैक्ट अध्ययन जरूरी था। खाद्य सुरक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए खेती की ज्यादा जमीन अधिग्रहीत नहीं की जा सकती थी।

क्यों आई नौबत : उद्योग जगत के साथ कई राज्यों ने भी यूपीए सरकार द्वारा लागू कानून का विरोध किया था। जनवरी 2014 में कानून लागू होने के बाद अधिग्रहण लगभग ठप हो गया था। औद्योगिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए राज्य इसमें बदलाव चाहते थे। विरोध करने वालों में कांग्रेस शासित राज्य भी थे। सोशल इंपैक्ट के अध्ययन में वक्त लगने से अधिग्रहण वर्षों लटक सकता था।

क्या अधिग्रहण में तेजी आएगी : उम्मीद कम है। जब तक ये बदलाव कानून का रूप नहीं ले लेते तब तक असमंजस बना रहेगा। कंपनियां तब तक निवेश नहीं करेंगी। कांग्रेस ने विरोध का फैसला किया है। इससे बजट सत्र में बिल राज्यसभा में अटक सकता है।

किसान : उनके लिए मुआवजे में कोई बदलाव नहीं है। ग्रामीण इलाकों में बाजार दर की चार गुना और शहरों में बाजार दर की दोगुना कीमत मिलेगी। लेकिन विशेष परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण में उनकी असहमति बेमतलब होगी।

उद्योग : इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत चुनिंदा सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की राह आसान होगी। दूसरे प्रोजेक्ट के लिए अब भी 80 फीसदी जमीन मालिकों की सहमति अनिवार्य।

सरकार : मोदी सरकार बिजनेस के हित में माहौल बनाना चाहती है। अध्यादेशों से यह साफ होता है। संसद के शीत सत्र के बाद वह बीमा में विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने और कोल ब्लॉक की नीलामी पर भी अध्यादेश ला चुकी है।

कांग्रेस करेगी विरोध : प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बजट सत्र में इसका विरोध करेगी। यूपीए सरकार ने यह कानून तीन साल के विचार-विमर्श के बाद तैयार किया था। विपक्ष के सुझाव भी जोड़े गए थे। मोदी सरकार लुके-छिपे रूप में इसमें परिवर्तन करना चाहती है। इसीलिये उसने संशोधन का विधेयक पिछले सत्र में पेश नहीं किया।

Wednesday 24 December 2014

Best way of celebrating Christmas

Best way to celebrate Christmas :

����हरे कृष्ण����
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अक्सर यह देखा जाता है की क्रिसमस पर हम लोग अपने घरो में क्रिसमस ट्री लाते है उसे सजाते है और फिर फ़ेंक देते है।।

�� आइये इस बार भगवान् से जुड़कर इससे मानाने का प्रयास करे।। इस बार क्रिसमस ट्री की जगह पर तुलसी का पौदा अपने घर लेकर आये।। तुलसी भगवान्  को सबसे अधिक प्रिय है।। बिना तुलसी के भगवान् कुछ स्वीकार नहीं करते।।

�� तुलसी देवी को वृंदा देवी से भी जाना जाता है और यह राधा-कृष्ण की  भक्ति प्रदान करती है।। वृन्दावन का नाम भी वृन्दा देवी अर्थात् तुलसी के नाम पर है।।

�� तुलसी को पूजा करने से भक्ति में बहुत उनत्ति होती है और घर में हमेशा मंगलमय वातावरण रहता है।। घर पर हमेशा ठाकुर जी की कृपादृष्टि रहती है।।

�� और तुलसी रखने की भैतिक फायदा भी बहुत है।।

�� इसिलिये इस बार क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री नहीं तुलसी मतलब भगवान् की साक्षात् कृपा घर पर लाये।। अगर आपके घर पहले से  ही है तो उसको सजाये और लड्डू गोपाल के लिए खिलोने लाये और उन्हें बांटे।।

�� उस दिन मंदिर जाकर भगवान् से प्राथना करे की वो हमे शक्ति और भाक्ति दे जिससे हम भी इसा मसीह की तरह कृष्ण भावना की प्रचार हर जगह कर सके।।।

�� आपसे निवेदन है की अपने सभी परिजन और मित्रों तक यह सन्देश अवश्य ही पहुचाएं।

��तुलसी देवी की जय��

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Friday 19 December 2014

श्री कृष्ण चंद्र कृपालु भजमन।

श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥
सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल
धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित
निकुंजविहारिणम्॥
मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम्।
वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम्॥
वृषुभान नन्दिनि वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम्।
ललितादि सखी जिन सेवहि, करि चवर छत्र उपासनम्॥
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"हे प्रभु...♡
फरियाद तो वहाँ होती है..♡
जहा ऐतबार ना हो।मुझे तो यकीन है।...♡
की तुम मेरे मन की जान लेते हो....♡

How to Clear a Stuffy Nose in 1 Minute

Over 85% of people can make their stuffy nose clear in less than 1 minute if their follow instructions correctly. This remedy was tested on more than 100,000 people.

This simple breathing exercise of how to clear a stuffy nose or get rid of nasal congestion was developed by Russian doctors practicing the Buteyko breathing method.
Buteyko Nose Clearing Exercise
1. Sit back, upright and relaxed on a dining room chair.
2. During this Nose Clearing Exercise keep your MOUTH CLOSED at all times even after the exercise is finished, if you open your mouth you have ruined the exercise and you’ll have to start again.
3. Mouth closed !!!
4. Breathe OUT though your nose (recommended) or your mouth if you have to.
5. Now HOLD your breath by pinching your nose.
6. Gently move your head back and forward (nodding)
7. At this point your Mouth is closed, you’re holding on the out breath and you’re nodding your head.
8. Keep going until you feel a slight discomfort and the need to breathe (DO NOT keep going to you go blue in the face and fall off your chair, this is not good for you)
9. At this point, let go of your nose and take a in breath in through your nose keeping your mouth closed.
10. That’s it, one big breath in and then breathe a bit slower and calmer for the next couple of minutes sitting very upright in your chair.
11. Repeat if necessary keeping your mouth closed at all times.
These Nose Clearing Tips are for people just with a stuffy nose, not chronic sinus problems or Nasal polyps.

Sunday 14 December 2014

ईश्वर का चुनाव

एक  बौद्ध भिक्षुक भोजन  बनाने  के  लिए  जंगल  से  लकड़ियाँ  चुन  रहा  था कि  तभी  उसने  कुछ अनोखा   देखा।

“कितना अजीब है ये  !”, उसने   बिना  पैरों  की  लोमड़ी  को  देखते  हुए  मन  ही  मन   सोचा .

“ आखिर  इस  हालत  में  ये  जिंदा  कैसे  है ?” उसे  आश्चर्य  हुआ , “ और  ऊपर  से  ये  बिलकुल   स्वस्थ  है ”

वह  अपने ख़यालों  में  खोया  हुआ  था  की   अचानक  चारो  तरफ  अफरा – तफरी  मचने  लगी ;  जंगल  का  राजा  शेर  उस  तरफ  आ  रहा  था .  भिक्षुक भी  तेजी  दिखाते  हुए  एक  ऊँचे  पेड़  पर  चढ़  गया , और  वहीँ  से  सब  कुछ  देखने  लगा .

शेर  ने  एक हिरन  का  शिकार  किया  था  और  उसे  अपने  जबड़े  में  दबा  कर  लोमड़ी  की  तरफ   बढ़  रहा  था , पर  उसने  लोमड़ी   पर  हमला  नहीं  किया  बल्कि  उसे  भी  खाने के  लिए  मांस  के   कुछ  टुकड़े  डाल  दिए .

“ ये  तो घोर आश्चर्य है , शेर लोमड़ी को मारने की बजाये उसे भोजन दे रहा है .” , भिक्षुक बुदबुदाया,उसे  अपनी  आँखों  पर  भरोसा  नहीं  हो  रहा  था  इसलिए  वह  अगले  दिन  फिर  वहीँ  आया  और  छिप  कर  शेर  का  इंतज़ार  करने  लगा .  आज  भी  वैसा  ही  हुआ , शेर  ने  अपने  शिकार  का  कुछ  हिस्सा  लोमड़ी  के  सामने  डाल   दिया .

“यह  भगवान्  के  होने  का  प्रमाण  है !” भिक्षुक  ने  अपने  आप  से  कहा . “ वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देता है , आज  से  इस  लोमड़ी  की  तरह  मैं  भी  ऊपर  वाले  की दया पर जीऊंगा , ईश्वर  मेरे  भी  भोजन   की  व्यवस्था करेगा .” और  ऐसा  सोचते  हुए  वह  एक   वीरान  जगह  पर जाकर एक पेड़  के नीचे  बैठ  गया .

पहला  दिन  बीता  , पर  कोई  वहां  नहीं  आया ,  दूसरे  दिन  भी  कुछ  लोग  उधर  से  गुजर  गए  पर  भिक्षुक  की  तरफ  किसी  ने  ध्यान  नहीं  दिया . इधर  बिना  कुछ  खाए -पीये  वह  कमजोर  होता  जा  रहा  था . इसी तरह कुछ  और  दिन  बीत  गए , अब  तो  उसकी  रही  सही  ताकत  भी  खत्म  हो  गयी …वह  चलने -फिरने  के  लायक  भी  नहीं  रहा .  उसकी  हालत बिलकुल  मृत  व्यक्ति  की  तरह  हो  चुकी  थी  की  तभी  एक  महात्मा  उधर  से  गुजरे  और  भिक्षुक  के  पास  पहुंचे .

उसने अपनी सारी कहानी  महात्मा  जी  को  सुनाई  और  बोला , “ अब  आप  ही  बताइए कि  भगवान्  इतना  निर्दयी  कैसे  हो  सकते  हैं , क्या  किसी  व्यक्ति  को  इस  हालत  में पहुंचाना  पाप  नहीं  है ?”

“ बिल्कुल है ,”, महात्मा  जी ने  कहा , “ लेकिन  तुम इतना  मूर्ख  कैसे  हो  सकते  हो ? तुम  ये  क्यों  नहीं  समझे  कि  भगवान्  तुम्हे  उसे  शेर  की  तरह  बनते  देखना  चाहते  थे , लोमड़ी  की  तरह  नहीं !!!”

दोस्तों , हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं. ईश्वर  ने हम सभी के अन्दर कुछ न  कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं , ज़रुरत हैं कि  हम उन्हें पहचाने , उस भिक्षुक का सौभाग्य था कि उसे उसकी गलती का अहसास कराने के लिए महात्मा जी मिल गए पर हमें खुद भी चौकन्ना रहना चाहिए की कहीं हम शेर की जगह लोमड़ी तो नहीं बन रहे हैं.

ज़िन्दगी और कॉफ़ी

एक पुराना ग्रुप कॉलेज छोड़ने के बहुत दिनों बाद मिला। वे सभी अच्छे केरियर के साथ खूब पैसे कमा रहे थे। वे अपने सबसे फेवरेट प्रोफेसर के घर जाकर मिले।
प्रोफेसर साहब उनके काम के बारे में पूछने लगे। धीरे-धीरे बात लाइफ में बढ़ती स्ट्रेस और काम के प्रेशर पर आ गयी। इस मुद्दे पर सभी एक मत थे कि, भले वे अब आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हों पर उनकी लाइफ में अब वो मजा नहीं रह गया जो पहले हुआ करता था।
प्रोफेसर साहब बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थे, वे अचानक ही उठे और थोड़ी देर बाद किचन से लौटे और बोले,
”डीयर स्टूडेंट्स, मैं आपके लिए गरमा-गरम कॉफ़ी बना कर आया हूँ , लेकिन प्लीज आप सब किचन में जाकर अपने-अपने लिए कप्स लेते आइये।"
लड़के तेजी से अंदर गए, वहाँ कई तरह के कप रखे हुए थे, सभी अपने लिए अच्छा से अच्छा कप उठाने में लग गये, किसी ने क्रिस्टल का शानदार कप उठाया तो किसी ने पोर्सिलेन का कप सेलेक्ट किया, तो किसी ने शीशे का कप उठाया।
सभी के हाथों में कॉफी आ गयी तो प्रोफ़ेसर साहब बोले, 
"अगर आपने ध्यान दिया हो तो, जो कप दिखने में अच्छे और महंगे थे आपने उन्हें ही चुना और साधारण दिखने वाले कप्स की तरफ ध्यान नहीं दिया। जहाँ एक तरफ अपने लिए सबसे अच्छे की चाह रखना एक नॉर्मल बात है वहीँ दूसरी तरफ ये हमारी लाइफ में प्रोब्लम्स और स्ट्रेस लेकर आता है। फ्रेंड्स, ये तो पक्का है कि कप, कॉफी की क्वालिटी में कोई बदलाव नहीं लाता। ये तो बस एक जरिया है जिसके माध्यम से आप कॉफी पीते है। असल में जो आपको चाहिए था वो बस कॉफ़ी थी, कप नहीं, पर फिर भी आप सब सबसे अच्छे कप के पीछे ही गए और अपना लेने के बाद दूसरों के कप निहारने लगे।"

अब इस बात को ध्यान से सुनिये ...
"ये लाइफ कॉफ़ी की तरह है ;
हमारी नौकरी, पैसा, पोजीशन, कप की तरह हैं। ये बस लाइफ जीने के साधन हैं, खुद लाइफ नहीं ! और हमारे पास कौन सा कप है ये न हमारी लाइफ को डिफाइन करता है और ना ही उसे चेंज करता है। कॉफी की चिंता करिये कप की नहीं।"

"दुनिया के सबसे खुशहाल लोग वो नहीं होते जिनके पास सबकुछ सबसे बढ़िया होता है, पर वे होते हैं, जिनके पास जो होता है बस उसका सबसे अच्छे से यूज़ करते हैं. एन्जॉय करते हैं और भरपूर जीवन जीते हैं!

सादगी से जियो। सबसे प्रेम करो। सबकी केअर करो। जीवन का आनन्द लो, यही असली जीना है।

Friday 12 December 2014

विनय और करुणा का पाठ।

एक युवक ने किसी बड़ी कंपनी में मैनेजर के पद के लिए आवेदन किया. उसने पहला इंटरव्यू पास कर लिया और उसे फाइनल इंटरव्यू के लिए कंपनी के डाइरेक्टर के पास भेजा गया. डाइरेक्टर ने युवक के CV में देखा कि उसकी शैक्षणिक योग्यताएं शानदार थीं.

डाइरेक्टर ने युवक से पूछा, “क्या तुम्हें स्कूल-कॉलेज में स्कॉलरशिप मिलती थी”?

“नहीं”, युवक ने कहा.

“तुम्हारी फीस कौन भरता था?”

“मेरे माता-पिता काम करते थे और मेरी फीस चुकाते थे.”

“वो क्या काम करते थे?”

“वो कपड़ों की धुलाई करते थे… अभी भी यही काम करते हैं.”

डाइरेक्टर ने युवक से अपने हाथ दिखाने के लिए कहा. युवक ने डाइरेक्टर को अपने हाथ दिखाए. उसके हाथ बहुत सुंदर और मुलायम थे.

“क्या तुमने कभी कपड़े धोने में अपने मता-पिता की मदद नहीं की?”

“कभी नहीं. वे यही चाहते थे कि मैं बहुत अच्छे से पढाई करूं. मुझे यह काम करते नहीं बनता था और वे इसे बड़ी तेजी से कर सकते थे.”

डाइरेक्टर ने युवक से कहा, “तुम एक काम करो… आज जब तुम घर जाओ तो अपने माता-पिता के हाथ साफ करो और कल मुझसे फिर मिलो.”

युवक उदास हो गया. जब वह अपने घर पहुंचा, उसने अपने माता-पिता से कहा कि वह उनके हाथ धोना चाहता है. माता-पिता को सुनकर अजीब-सा लगा. वे झेंप गए लेकिन उन्हें मिलीजुली सुखकर अनुभूतियां भी हुईं. युवक ने इनके हाथों को अपने हाथ में लेकर साफ करना शुरु किया. उसकी आंखों से आंसू बहने लगे.

जीवन में पहली बार उसे यह अहसास हुआ कि उसके माता-पिता के हाथ झुर्रियों से भर गए थे और ज़िंदगी पर कठोर काम करने के कारण वे रूखे और चोटिल हो गए थे. उन हाथों के जख्म इतने नाज़ुक थे कि सहलाने पर उनमें टीस उठने लगी.

पहली मर्तबा युवक को यह बात गहराई से महसूस हुई कि उसे पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाने के लिए उसके माता-पिता इस उम्र तक कपड़े धोते रहे ताकि उसकी फीस चुका सकें. माता-पिता ने अपने हाथों के जख्मों से अपने बेटे की स्कूल-कॉलेज की पढाई की फीस चुकाई और उसकी हर सुख-सुविधा का ध्यान रखा.

उनके हाथ धोने के बाद युवक ने खामोशी से धुलने से छूट गए कपड़ों को साफ किया. उस रात वे तीनों साथ बैठे और देर तक बातें करते रहे.

अगले दिन युवक डाइरेक्टर से मिलने गया. डाइरेक्टर ने युवक की आंखों में नमी देखी और उससे पूछा, “अब तुम मुझे बताओ कि तुमने घर में कल क्या किया और उससे क्या सीख ली?”

युवक ने कहा, “मैंने उनके हाथ धोए और धुलाई का बचा हुआ काम भी निबटाया. अब मैं जान गया हूं कि उनकी करुणा का मूल्य क्या है. यदि वे यह सब न करते तो मैं आज यहां आपके सामने साथ नहीं बैठा होता. उनके काम में उनकी मदद करके ही मैं यह जान पाया हूं कि अपनी हर सुख-सुविधा को ताक पर रखकर परिवार के हर सदस्य का ध्यान रखना और उसे काबिल बनाना बहुत महत्वपूर्ण बात है और इसके लिए बड़ा त्याग करना पड़ता है.”

डाइरेक्टर ने कहा, “यही वह चीज है जो मैं किसी मैनेजर में खोजता हूं. मैं उस व्यक्ति को अपनी कंपनी में रखना चाहता हूं जो यह जानता हो कि किसी भी काम को पूरा करने के लिए बहुत तकलीफों से गुज़रना पड़ता है. इस बात को समझने वाला व्यक्ति अधिक-से-अधिक रुपए-पैसे कमाने की होड़ में अपने जीवन को व्यर्थ नहीं करेगा. मैं तुम्हें नौकरी पर रखता हूं.”
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जिन बच्चों को बहुत जतन और एहतियात सा पाला पोसा जाता है और जिनकी सुख-सुविधा में कभी कोई कोर-कसर नहीं रखी जाती, उन्हें यह लगने लगता है कि उनका हक हर चीज पर है और उन्हें उनकी पसंद की चीज किसी भी कीमत पर सबसे पहले मिलनी चाहिए. ऐसे बच्चे अपने माता-पिता की मेहनत और उनके समर्पण का मूल्य नहीं जानते.

यदि हम भी अपने बच्चों की हर ख़्वाहिश को पूरा करके उन्हें खुद से पनपने का मौका नही दे रहे हैं तो हम उनकी आनेवाली ज़िंदगी को बिगाड़ रहे हैं. उन्हें बड़ा घर, महंगे खिलौने, और शानदार लाइफस्टाइल देना ही पर्याप्त नहीं है, उन्हें रोजमर्रा के काम खुद से करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. उन्हें सुविधापूर्ण जीवन का गुलाम नहीं बनाना चाहिए. उनमें यह आदत डालनी चाहिए कि वे अपना भोजन कभी नहीं छोड़ें, अन्न का तिरस्कार नहीं करें और अपनी थाली खुद धोने के लिए रखने जाएं.

हो सकता है कि आपके पास अपने बच्चों की सभी ज़रूरतें पूरा करने के लिए बहुत अधिक पैसा हो और घर में नौकर-चाकर लगें हों लेकिन उनमें दूसरों के प्रति संवेदना पनपाने के लिए आपको ऐसे कदम ज़रूर उठाने चाहिए. उन्हें यह समझना चाहिए कि उनके माता-पिता कितने भी संपन्न हों लेकिन एक दिन वे भी सबकी तरह बूढ़े हो जाएंगे और शायद उन्हें दूसरों की सहायता की ज़रूरत पड़ेगी.

सभी बच्चों में यह बात विकसित करनी चाहिए कि वे दुनिया के हर व्यक्ति की जरूरतों, प्रयासों, और कठिनाइयों को समझें और उनके साथ मिलकर चलना सीखें ताकि हर व्यक्ति का हित हो.

मोटापे को कैसे घटाएं??

मोटापा या शरीर पर जमा चर्बी घटाना बहुत कठिन काम लगता है. मोटापा कई कारणों से होता है जिनमें आनुवांशिकता भी शामिल है लेकिन कुछ साधारण उपायों को आजमाने से इसे घटाने में सफलता मिल सकती हैः

1. सुबह-सवेरे नींबू का रस पिएं - यह मोटापा घटाने का अच्छा उपाय है. कुनकुने पानी में नींबू निचोड़कर उसमें ज़रा सा नमक या एक चम्मच शहद मिला लें. मेटाबोलिज़्म सुधारने के लिए इसे रोज़ पीजिए और आपको कुछ समय में फ़र्क दिखने लगेगा।

2. चावल-मैदा कम खाएं - आटे या कुछ अन्य अनाज जैसे ब्राउन राइस की तुलना में चावल और मैदा में अधिक कैलोरी होती है और यह मोटापा बढ़ाते हैं. इसी तरह साधारण व्हाइट ब्रेड की जगह ब्राउन ब्रेड, आटा ब्रेड, व्होल ग्रेन, ओट्स आदि कई मोटे अनाज अधिक उपयुक्त हैं.

3. चीनी कम करें - मिठाइयां, टॉफी, शीतल पेय और तले हुए भोजन से दूर रहें. अतिरिक्त शर्करा लेने से मिलनेवाली कैलोरी चर्बी के रूप में पेट और जांघों को भारी बना देती है.

4. भरपूर पानी पिएं - यदि आप मोटापे को बढ़ने से रोकना चाहते हैं तो दिन भर में खूब पानी पिएं. पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मेटाबोलिज़्म सही रहता है और शरीर से टॉक्सिन निकलते रहते हैं.

5. कच्चा लहसुन खाएं - सुबह लहसुन की दो कलियां चबाकर या बारीक कतर कर खा लें और ऊपर से कुनकुना नींबू का रस पिएं. इससे मोटापा नियंत्रण में रहता है और रक्त संचरण में भी सुधार होता है. हाई ब्लडप्रेशर से ग्रस्त व्यक्तियों को भी कच्चा लहसुन खाने की सलाह दी जाती है.

6. सलाद और फलों की मात्रा बढ़ाइए - दिन में दो बार मुख्य भोजन से पहले सलाद और फल खाइए. भोजन के आधे घंटे पहले एक फुल प्लेट सलाद खा लेने से आप अतिरिक्त आहार लेने से बच जाते हैं और इससे शरीर को ज़रूरी विटामिन और खनिज भी खूब मिलते हैं.

7. भोजन में विशेष मसालों का प्रयोग बढ़ाएं - कुछ मसाले जैसे दालचीनी, अदरक, काली मिर्च आदि का भोजन में प्रयोग करने से इंसुलिन प्रतिरोधकता बढ़ती है और रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रण में रहता है. इनमें मोटापा दूर करने के अलावा और भी बहुत सारे गुण होते हैं और ये भोजन का जायका भी बढ़ाते हैं.

Source: “7 Simple Ways To Get Rid Of Belly Fat,” via TheUnboundSpirit

डिस्क्लेमरः इस ब्लॉग में दी गई किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य या खानपान की सलाह का पालन अपने चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद ही करें.