सुसंग्रह
Wednesday, 21 September 2022
काश..!
काश..!
तुमने देखी होती....
कुछ पानी की बूंदें....
मेरी पलकों पर....
।
काश..!
तुमने देखी होती....
मेरी कामयाब कोशिशें....
जो रोक पाई उन बूंदों को....
छलक जाने से....
।
ताकि भीग न जाए वो कागज़....
या फिर तुम कहीं पिघल न जाओ....
फिर एक बार ....
.
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