Friday 23 September 2022

मेरा प्रेम

नि:संदेह मेरी "स्नेह".....
मेरा प्रेम, मेरा स्नेह...
गंगा जल की तरह नहीं तो....
घर में रखे मिट्टी के घड़े सा...
निर्मल, पारदर्शी, शीतल....
स्वाद चाहे नहीं दे पाए....
तृप्त अवश्य करने को तत्पर...
नि:संदेह....
मुझमें बसने वाली आत्मा हो तुम.....
और अगर नही है विश्वास....
मेरी बातों में छुपी सच्चाई पर....
तो बस एक बार....
महसूस करना....
कैसा निष्प्राण हो जाता हूं मैं....
बस एक हल्के से...
तुम्हारे रूठ जाने से....
और लौट आती हैं....
धड़कनें, सांसें और जरा सी....
मुस्कुराहट भी....
बस तुम्हारे मुस्कुरा भर देने से....
❤️

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