Saturday 20 June 2015

पिता

पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है

पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है

पिता उंगली पकड़े बच्चे का सहारा है

पिता कभी कुछ खंट्टा, कभी खारा है

पिता पालन है, पोषण है

परिवार का अनुशासन है

पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है

पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है

पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है

पिता अप्रदर्शित अनन्त प्यार है

पिता है तो बच्चों को इंतजार है

पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं

पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं

पिता से परिवार में प्रतिपल राग है

पिता से ही मां की बिंदी और सुहाग है

पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है

पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है

पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है

पिता रक्त में दिए हुए संस्कारों की मूर्ति है

पिता एक जीवन को जीवन का दान है

पिता दुनिया दिखाने का अहसान है

पिता सुरक्षा है, सिर पर हाथ है

पिता नहीं तो बचपन अनाथ है

तो पिता से बड़ा अपना नाम करो

पिता का अपमान नहीं, उन पर अभिमान करो .....

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