श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥
सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल
धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित
निकुंजविहारिणम्॥
मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम्।
वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम्॥
वृषुभान नन्दिनि वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम्।
ललितादि सखी जिन सेवहि, करि चवर छत्र उपासनम्॥
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"हे प्रभु...♡
फरियाद तो वहाँ होती है..♡
जहा ऐतबार ना हो।मुझे तो यकीन है।...♡
की तुम मेरे मन की जान लेते हो....♡
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