Tuesday, 18 October 2016

करवा चौथ

(1).
करवा चौथ तो बहाना है,
असली मकसद तो पति को याद दिलाना है...

कि कोई है जो उसके इंतजार में
दरवाजे पर टकटकी लगाए रहती है,

पति के इंतज़ार में
सदा आँखें बिछाए रहती है...

वैलेंटाईन ड़े, रोज़ ड़े
इन सब को वो समझ नहीं पाती है....

प्यार करती है दिल की गहराईयों से,
पर कह नहीं पाती है....

सुबह से भूखी है,
उसका गला भी सूखा जाता है....

इस पर उसका कोई ज़ोर नहीं,
उसे प्यार जताने का
बस यही तरीका आता है....

खुलेआम किस करना हमारी संस्कृति में नहीं,
'आई लव यू' कहने में वो शर्माती है....

वो चाहती है बहुत कुछ कहना,
पर 'जल्दी घर आ जाना'
बस यही कह पाती है....

फेसबुक, ट्वीटर से मतलब नहीं उसे,
ना फोन पे व्हाट्सएप्प चलाना आता है....

यूँ तो कोई जिद नहीं करती,
पर प्यार से रूठ जाना आता है...

यूँ तो दिल मचलता है हमारा भी,
देख कर हुस्न की बहार...

याद रहता है हर पल, उसका समर्पण,
और हमारे परिवार पर लुटाया हुआ प्यार....

ऐसी प्रिया को,
है सम्मान का, प्यार का अधिकार |।।

(2).
*जीवनसाथी*
तुमसे रुठ भी जाऊं मेरे प्रिय,
तुम्हारे लौटने का इंतज़ार होता है।
तैरती खामोशियो के मंजर पर,
"सुनो तो" का असर हर बार होता है।
शिकवे अपनी जगह इस रिश्ते में,
मुस्कुराना ही मनुहार होता है।
संग न महज आसां राहों का मगर,
दुःखों पर भी मेरा अधिकार होता है।
मन की गिरह जब जब खुले,
नयी शुरुआत जैसे त्यौहार होता है।
व्रत ,पूजन सब तुम्हारी खातिर,
चाँद से सजदा मेरा हर बार होता है।
ये कैसा रिश्ता सात फेरो में बंधा,
शिकायत जिनसे उन्ही से प्यार होता है।
(करवाचौथ की अग्रिम शुभकामनाये और बधाइयां  )

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