गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।
अखण्ड मंडलाकार व्याप्तं येन चराचरम तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
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हर प्रकार से नादान थे हम,
गीली मिट्टी के समान थे हम।
आकार देकर हमें घड़ा बना दिया,
अपने पैरों पर खड़ा कर दिया।
गुरु बिना ज्ञान कहां,
उनके ज्ञान का आदि न अंत यहां।
गुरु ने दी शिक्षा जहां,
उठी शिष्टाचार की मूरत वहां।
अपने संसार से हमारा परिचय करवाया,
उन्होंने हमें भले-बुरे का आभास कराया।
अथाह संसार में हमें अस्तित्व दिलाया,
दोष निकालकर सुदृढ़ व्यक्तित्व बनाया।
अपनी शिक्षा के तेज से,
हमें आभा मंडित कर दिया।
अपने ज्ञान के वेग से,
हमारे उपवन को पुष्पित कर दिया।
जिन्होंने बनाया हमें ईश्वर,
गुरु का करें सदा आदर।
जिनमें स्वयं है परमेश्वर,
उन गुरु को मेरा प्रणाम सादर।
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सभी को गुरु पूर्णिमा पर्व की शुभकामनाएँ।
Thursday, 30 July 2015
तस्मै श्री गुरुवे नम:
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