Sunday, 2 August 2015

Happy Friendship Day

दोस्ती की नन्ही सी परिभाषा
मैं शब्द, तुम अर्थ
तुम बिन...मैं व्यर्थ..!!
Happy Friendship Day.
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राह देखी थी इस दिन की कब से,
आगे से सपने सजा रखे थे न जाने कब से।
बड़े उतावले थे चाहने को,
जिंदगी का अगला पड़ाव पाने को।
पर न जाने क्यों दिल में आज कुछ ख्याल आता है,
वक्त को रोकने का जी चाहता है।
जिन बातों को लेकर रोते थे,
आज उन पर हंसी आती है।
न जाने क्यों उन पलों की याद बहुत सताती है।
कहा करता था बड़ी मुश्किल से इतने साल सह गया,
पर आज न जाने क्यों ऐसा लगता है कुछ पीछे रह गया।
कही, अनकही हजारों बातें रह गई,
न भूलने वाली कुछ यादें रह गई।
मेरी टांग अब कौन खींचा करेगा?
सिर्फ मेरा सर खाने को कौन मेरा पीछा करेगा?
जहाँ हजारों का हिसाब नहीं,
वहाँ 2-2 रूपए के लिए कौन लडेगा?
कौन रात भर जाग कर साथ पढेगा?
कौन मेरा लंच मुझसे पूछे बिना खाएगा?
कौन मेरे नये नए नए नाम बनाएगा?
मैं अब बिना मतलब के किससे लडूंगा?
बिना टॉपिक के, किससे फालतू की बकवास करूँगा?
कौन-कौन फ़ैल होता है, दिलासा कौन दिलाएगा?
कौन गलती से नंबर आने पर गालियां सुनाएगा?
थङी की वो चाय किसके साथ पिऊंगा?
वो हंसी के पल किसके साथ जिऊंगा?
एसे दोस्त कहाँ मिलेंगे जो खाई में भी धक्का दे आएं,
और फिर हमें बचाने खुद भी कूद जाए।
मेरी गजलों से परेशान कौन होगा?
कभी मुझे किसी लड़की के साथ बात करते देख हैरान कौन होगा?
कौन कहेगा चल बे तेरे जोक्स पे हंसी नहीं आती?
कौन पीछे से बुला कर कहेगा आगे देख भाई?
कैरम में किसके साथ खेलूँगा?
किसके साथ में बोरिंग लेक्चर झेलूँगा?
प्रोफेसर के पीछे से राक्षस की तरह कौन हंसेगा?
मेरे सर्टिफिकेट को रद्दी कहने की हिम्मत कौन करेगा?
बिना डरे सच्ची राय देने की हिम्मत कौन करेगा?
स्टेज पर अब किसके साथ जाऊंगा?
जूनियर के फालतू के लेक्चर कैसे सुनाऊंगा?
अचानक बिना मतलब के किसी को भी देखकर के पागलों की तरह हँसना,
न जाने यह फिर कब कर पाउँगा?
कह दो दोस्तों दुबारा से यह मौका।
दोस्तों के लिए प्रोफेसर से कब लड़ पाएँगे?
क्या वे दिन फिर से आ पाएँगे?
रात को 2 बजे परांठे खाने साथ कौन चलेगा?
तीन गिलास लस्सी पीने की शर्त कौन लगाएगा?
कौन मुझे मेरी काबिलियत पर भरोसा दिलाएगा?
और ज्यादा उड़ने पर जमीन पर लाएगा?
मेरी ख़ुशी में सच में खुश कौन होगा?
मेरे गम में मुझसे ज्यादा दु:खी कौन होगा?
मेरी यह कविता कौन पढ़ेगा?
कौन इसे सच में समझेगा?
बहुत कुछ लिखना अभी बाकी है,
कुछ साथ शायद बाकी है।
हम बेमतलब की बातों को लेकर दुश्मन न बन जाए दोस्तों,
हम अजनबी न बन जाएं दोस्तों।
जिंदगी के रंगों में दोस्ती का रंग फीका न पङ जाए,
कही ऐसा न हो दूसरे रिश्तों के भीड़ में दोस्ती दम तोड़ जाए।
जिंदगी में मिलने की फरियाद करते रहना,
अगर न मिल सकें तो कम से कम याद करते रहना।
चाहे जितना हँस लो आज मुझ पर मैं बुरा नहीं मानूंगा,
इस हंसी को अपने दिल में बसा लूँगा।
और जब याद आएगी तुम्हारी,
यही हंसी लेकर थोडा मुस्कुरा लूँगा।
याद रखना मेरा नाम,
और मेरे दोस्तों यह छोटा सा पैगाम।
HAPPY FRIENDSHIP DAY TO ALL.

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