पहला सुख - निरोगी काया, दूजा सुख - घर में हो माया, तीजा सुख - सुलक्षणा नारी, चौथा सुख - हो पुत्र आज्ञाकारी, पाँचवां सुख - हो सुन्दर वास, छठा सुख - हो अच्छा पास, साँतवां सुख - हो मित्र घनेरे, और नहीं जगत में दुखः बहुतेरे !
No comments:
Post a Comment