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आदरणीय अध्यक्ष महोदया, विशिष्ट अतिथि महोदया, आदर्श विद्या मंदिर के संरक्षक महोदय, प्रधानाचार्य महोदय, सभी अध्यापकगण एवं प्यारे बच्चों।
शिक्षा एक ऐसी चीज है जो हर इंसान के लिए इस तरह महत्वपूर्ण है जिस तरह ऑक्सीजन जीवन के लिए जरूरी है. शिक्षा के बिना मनुष्य बिल्कुल जानवर की तरह है।
ज्ञान ही मनुष्य को अधिकार की राह की ओर ले जाता है. शिक्षा के महत्व के बारे में लगभग सभी लोग परिचित हैं और इसी कारण कई लोग अपने जीवन को ज्ञान की प्राप्ति के लिए निछावर कर देते हैं।
आज के विकसित दौर में जो भी देश का निर्माण व विकास चाहता है वह अपनी विकास यात्रा में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भागीदारी भी चाहता है। क्योंकि किसी भी देश का विकास व उन्नति में पुरुषों के साथ महिलाओं की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है।
वैसे तो शिक्षा व ज्ञान प्राप्त करना हरेक का अधिकार है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए शिक्षा प्राप्ति ज्यादा जरूरी है क्योंकि उन्होंने आगे आने वाली पीढ़ी की अच्छी शिक्षा और प्रशिक्षण जो करनी होती है. आगे आने वाली पीढ़ी की अच्छी शिक्षा और प्रशिक्षण में एक पढ़ी-लिखी माँ ही बेहतर हिस्सा ले सकती है. इसलिए उनका शिक्षित होना जरूरी है ताकि वह देश की खुशहाली और स्थिरता में अपनी भूमिका निभा सकें! देखने में आया है कि पढ़ी लिखी माँ अपने बच्चों का स्वास्थ्य और शिक्षा और प्रशिक्षण का बेहतर रूप-रेखा तैयार कर सकती हैं और उनका बेहतर खयाल कर सकती हैं।
अनपढ़ या कम पढ़ी लिखी महिलाएं अपने बच्चों की उस तरह परवरिश नहीं कर पाती हैं जिस तरह से परवरिश करनी चाहिए साथ ही उसके बच्चे भी बीमारियों का शिकार रहते हैं, क्योंकि वह स्वास्थ्य नियमों के अनुसार अपने बच्चों की परवरिश नहीं कर पाती हैं. जबकि पढ़ी लिखी माँ बच्चे की शुरूआत से ही बेहतरीन ख़याल रखती हैं भोजन उचित देने के कारण वह स्वस्थ रहते हैं.
जब माँ अच्छी परवरिश देकर बच्चों को अच्छी दिशा देंगीं तो हमारा राष्ट्र भी अच्छा राष्ट्र बनेगा।
एक पढ़ी लिखी और जागरूक माँ ही अपने बच्चों को इंटरनेट, केबल और वीडियो गेम के प्रभाव से सुरक्षित रख सकती है और समय की आवश्यकताओं के अनुसार अपने बच्चों का प्रशिक्षण सही रूप से कर सकती है. क्योंकि शिक्षित होने की वजह से वह अच्छे बुरे की तमीज़ बेहतर कर सकती है जो कि बच्चों को एक अच्छा इंसान और उपयोगी नागरिक बनाने में सहायक सिद्ध होता है।
कई महिलाएं पूर्ण रूप से शिक्षा और समाज की जानकारी चाहती हैं, लेकिन सामाजिक प्रथा व रिवाज़ और पर्दे के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं और इसके साथ ही घर वाले भी लड़कियों की पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं देते जो एक चिंतनीय विषय है।
ऐसे में यह हम सबकी सामाजिक व नैतिक जिम्मेदारी है कि महिलाएं भी शिक्षित हो कर आने वाले भविष्य और समय में आने वाली पीढ़ी को विकसित कर पाए तथा अपनी योग्यताओं को भी प्रयोग में ला सकें।
आजकल महिलाओं में शिक्षा पाने की चेतना उजागर हुई है. जिसकी वजह से अब पहले की तुलना में काफी संख्या में महिलाएं विभिन्न क्षेत्र में पढ़ाई कर रही हैं और अलग-अलग विभाग में नौकरी कर के देश की सेवा के साथ साथ घरवालों का प्रायोजन कर रही हैं. और देखने में यह भी आया है की घर के प्रमुख के ना रहने की स्थिति में या घर का प्रमुख कामकाज के योग्य ना-रहने की वजह से घर प्रणाली चलाने की जिम्मेदारी भी महिलाएं बा-खूबी संभाल लेती हैं इसके अलावा आज के इस दौर में जब महंगाई की मार हर जगह पड़ रही है, कमाने वाला एक और खाने वाले दस हो तो यह जरूरी हो जाता है कि आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए महिलाएं भी पुरुषों के साथ काम करें और यह तभी संभव होता है जब वह शिक्षा के गहने से सुसज्जित हों।
इसलिए हर महिला को जितनी भी हो सके शिक्षा के मैदान में आगे आना चाहिए ताकि कल को किसी भी अप्रिय स्थिति में अपने पांव पर खुद खड़ी हो सकें और किसी पर बोझ न बनें….
अंत में मैं आप सभी का आभार प्रकट करते हुए अपना स्थान ग्रहण करना चाहती हूँ। धन्यवाद।
Friday, 14 November 2014
शिक्षा और स्वास्थ्य में महिलाओं की भूमिका
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