वाह रे इंसान!!!
घर में निकला चूहा, दवा डाल मार गिराया,
मंदिर में माटी के चूहे के कान में अपना दु:ख कह आया।।
बच्चा मांगे खिलौना तो डांटे माँ और बाबा,
मंदिर की पेटी में जी भर भर डालें चंदा।।
नहाकर पहले गंगा में पाप अपने सब धो देता,
फिर वहीं से धोए पापों का पानी फिर से संग भर लेता।।
ऊपरवाले से उम्र भर अपनी ज़िंदगी की भीख मांगता,
और उसी की दुहाई देकर बेज़ुबान जानवर को काटता।।
जिस कागा को अपने घर की छत पर बैठे उड़ाता,
उसी को माँ बाप समझ, पकवान परोस आवाज़ें देता।।
वाह रे इंसान, तेरा तरीका समझ नहीं आता।।
वाह रे इंसान, तेरा तरीका समझ नहीं आता।।
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