Friday, 4 November 2016

कुछ सुविचार

वो अनजान चला है ईश्वर को

पाने की खातिर.. बेख़बर को

इत्तला कर दो कि माँ-बाप

घर पर ही है……….
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*"चलते रहने से ही सफलता है,*
          *रुका हुआ तो पानी भी बेकार हो जाता है...!"*

*"अच्छी सोच, अच्छी भावना*,
          *अच्छा विचार मन को हल्का करता है....!"*

  *"मुसीबत सब पर आती है,*
          *कोई बिखर जाता है*
            *और कोई निखर जाता है...!"*
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कुछ लोग हमारी
*सराहना* करेंगे…,
कुछ लोग हमारी
*आलोचना* करेंगे…
दोनों ही मामलों में
हम *फायदे* में ही हैं…
एक हमें  प्रेरित करेगा
और
दूसरा हमारे भीतर
सुधार लायेगा…!!!
जय सियाराम
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हमें पता है कि रंगोली दुसरे ही दिन मिटने वाली है। फिर भी वो ज्यादा से ज्यादा आकर्षक हो, कलात्मक हो, मनमोहक हो.
*.. ये हमारी कोशिश रहती है ..*

जीवन भी कुछ रंगोली जैसा ही है। हमें पता है जिंदगी एक दिन ख़त्म हो जाएगी।

*फिर भी उसे खुबसूरत बनाने की कोशिश करते रहना चाहिए।*

*.. पल पल .. हर पल .. हर घड़ी ..
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वक़्त दिखाई नही देता है•••••• पर,  दिखा बहुत कुछ जाता है।
जिसकी नीति अच्छी होगी, उसकी हमेशा उन्नति होगी।
जमीन ओर मुकद्दर की फितरत एक जैसी है, जो बोया है वही हुबहू निकलता है।
पराजय से मत घबराइए! जब आप किसी अच्छे उद्देश्य से हारते हैं, तो जीत के बहुत नजदीक होते हैं।
बना बनाया रास्ता किसी को नहीं मिलता, संकल्प और मेहनत से अपनी राह खुद बनाइए।
चल पड़े हो जब सफर में, . . .  तो मिलेंगी मंजिलें, आज पूरी ना सही पर, . . .  कल हों पूरी ख्वाहिशें।
चलते रहिए।

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